आयु सीमाः यूपीएससी (IAS) सिविल सेवा परीक्षा/आईएएस में शामिल होने के लिए न्यूनतम एवं अधिकतम उम्र सीमा श्रेणीवार निम्नलिखित हैः
1. परीक्षा वर्ष में 1 अगस्त को न्यूनतम उम्र 21 वर्ष और अधिकतम 32 वर्ष
2. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों को अधिकतम उम्र सीमा में पांच वर्ष की छूट दी जाती है यानी परीक्षा वर्ष के 1 अगस्त को यदि उनकी आयु 37 वर्ष या उससे कम हैं तो वे सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के लिए पात्र होते हैं। अन्य पिछड़े वर्गों को ऊपरी आयु सीमा में तीन वर्षों की छूट दी जाती है।
शैक्षणिक अर्हताः IAS परीक्षा के अभ्यर्थियों के पास भारत के केन्द्र या राज्य विधानमंडल द्वारा निगमित किसी विश्वविद्यालय की या संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 के खंड 3 के अधीन विश्वविद्यालय के रूप में मानी गई किसी अन्य शिक्षा संस्था की डिग्री अथवा समकक्ष योग्यता होनी चाहिए।
1. जो छात्र सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए आवेदन देते समय स्नातक के अंतिम वर्ष की परीक्षा दे चुका है पर उसका परिणाम जारी नहीं किया जा सका है, वे भी प्रारंभिक परीक्षा में बैठने के लिए पात्र होते हैं, परंतु उन्हें मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन देते समय अपने सभी प्रमाणपत्रें की छायाप्रति देनी होगी। अर्थात मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन देते समय (अमूमन परीक्षा वर्ष के सितंबर माह) उन्हें स्नातक परीक्षा जरूर पास कर लेनी होगी।
2. विशेष परिस्थितियों में यूपीएससी ऐसे किसी भी उम्मीदवार को परीक्षा में प्रवेश पाने का पात्र मान सकता है जिसके पास उपर्युक्त अर्हताओं में से कोई अर्हता न हो, बशर्ते कि उम्मीदवार ने किसी संस्था द्वारा ली गई कोई ऐसी परीक्षा पास कर ली हो जिसका स्तर आयोग के मतानुसार ऐसा हो कि उसके आधार पर उम्मीदवार को उक्त परीक्षा में बैठने दिया जा सकता है।
3. जिन उम्मीदवारों के पास ऐसी व्यावसायिक और तकनीकी योग्यताएं हों, जो सरकार द्वारा व्यावसायिक और तकनीकी डिग्रियों के समकक्ष मान्यता प्राप्त हैं वे भी उक्त परीक्षा में बैठने के पात्र होंगे।
4. जिन उम्मीदवारों ने अपनी अंतिम व्यावसायिक एमबीबीएस अथवा कोई अन्य चिकित्सा परीक्षा पास की हो लेकिन उन्होंने सिविल सेवा (प्रधान) परीक्षा का आवेदन प्रपत्र प्रस्तुत करते समय अपना इण्टर्नशिप पूरा नहीं किया है तो वे भी अनन्तिम रूप से परीक्षा में बैठ सकते हैं, बशर्ते कि वे अपने आवेदन-प्रपत्र के साथ संबंधित विश्वविद्यालय/संस्था के प्राधिकारी से इस आशय के प्रमाणपत्र की एक प्रति प्रस्तुत करें कि उन्होंने अपेक्षित अंतिम व्यावसायिक चिकित्सा परीक्षा पास कर ली है। ऐसे मामलों में उम्मीदवारों को साक्षात्कार के समय विश्वविद्यालय/ संस्था के संबंधित सक्षम प्राधिकारी से अपनी मूल डिग्री अथवा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने होंगे कि उन्होंने डिग्री प्रदान करने हेतु सभी अपेक्षाएं (जिनमें इण्टर्नशिप पूरा करना भी शामिल है) पूरी कर ली है।
आईएएस (UPSC) की तैयारीः कब-कैसे
अवसरों की संख्याः
1. विशेष परिस्थितियों में यूपीएससी ऐसे किसी भी उम्मीदवार को परीक्षा में प्रवेश पाने का पात्र मान सकता है जिसके पास उपर्युक्त अर्हताओं में से कोई अर्हता न हो, बशर्ते कि उम्मीदवार ने किसी संस्था द्वारा ली गई कोई ऐसी परीक्षा पास कर ली हो जिसका स्तर आयोग के मतानुसार ऐसा हो कि उसके आधार पर उम्मीदवार को उक्त परीक्षा में बैठने दिया जा सकता है।
2. जिन उम्मीदवारों के पास ऐसी व्यावसायिक और तकनीकी योग्यताएं हों, जो सरकार द्वारा व्यावसायिक और तकनीकी डिग्रियों के समकक्ष मान्यता प्राप्त हैं वे भी उक्त परीक्षा में बैठने के पात्र होंगे।
3. जिन उम्मीदवारों ने अपनी अंतिम व्यावसायिक एमबीबीएस अथवा कोई अन्य चिकित्सा परीक्षा पास की हो लेकिन उन्होंने सिविल सेवा (प्रधान) परीक्षा का आवेदन प्रपत्र प्रस्तुत करते समय अपना इण्टर्नशिप पूरा नहीं किया है तो वे भी अनन्तिम रूप से परीक्षा में बैठ सकते हैं, बशर्ते कि वे अपने आवेदन-प्रपत्र के साथ संबंधित विश्वविद्यालय/संस्था के प्राधिकारी से इस आशय के प्रमाणपत्र की एक प्रति प्रस्तुत करें कि उन्होंने अपेक्षित अंतिम व्यावसायिक चिकित्सा परीक्षा पास कर ली है। ऐसे मामलों में उम्मीदवारों को साक्षात्कार के समय विश्वविद्यालय/ संस्था के संबंधित सक्षम प्राधिकारी से अपनी मूल डिग्री अथवा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने होंगे कि उन्होंने डिग्री प्रदान करने हेतु सभी अपेक्षाएं (जिनमें इण्टर्नशिप पूरा करना भी शामिल है) पूरी कर ली है।
-प्रारंभिक परीक्षा में बैठने को परीक्षा में बैठने का एक अवसर माना जाता है।
– यदि उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा के किसी एक प्रश्न पत्र में वस्तुतः परीक्षा देता है तो उसका परीक्षा के लिए एक अवसर समझा जाता है।
– अयोग्यता/उम्मीदवारी के रद्द होने के बावजूद उम्मीदवार की परीक्षा में उपस्थिति का तथ्य एक अवसर गिना जाता है।
चयन प्रक्रिया
-आईएएस परीक्षा तीन चरणों में आयोजित होती है। प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार।
प्रारंभिक परीक्षा
प्रारंभिक परीक्षा वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय प्रश्न) प्रकृति की है और इसमें दो प्रश्न पत्र होते हैं_ सामान्य अध्ययन प्रथम एवं सामान्य अध्ययन द्वितीय। प्रत्येक पत्र 200-200 अंकों का होता है। द्वितीय प्रश्न पत्र क्वालीफाइंग होता है।
स प्रारंभिक परीक्षा केवल क्वालीफाइंग परीक्षा है।
सामान्य अध्ययन प्रथम पत्रः 100 प्रश्न (200 अंक)
1. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की सामयिक घटनाएं,
2. भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन,
3. भारत एवं विश्व भूगोलः भारत एवं विश्व का प्र्राकृतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल
4. भारतीय राजव्यवस्था और शासन-संविधान, राजनैतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोक नीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे, आदि।
5. आर्थिक और सामाजिक विकास-सतत विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में पहलें आदि।
6. पर्यावरणीय पारिस्थितिकी पर सामान्य मुद्दें, जैव विविधता व जलवायु परिवर्तन-विशेष अध्ययन की जरूरत नहीं।
7. सामान्य विज्ञान
सामान्य अध्ययन पत्र-2 (200 अंक) अवधि: दो घंटे
1- कंप्रीहेंसन
2- संचार कौशल सहित अंतर-वैयक्तिक कौशल,
3- तार्किक कौशल एवं विश्लेषणात्मक क्षमता,
4- निर्णयन और समस्या समाधान,
5- सामान्य मानसिक योग्यता,
6- आधारभूत संख्यनन (संख्याएं और उनके संबंध, विस्तार क्रम आदि) (दसवीं कक्षा का स्तर), आंकड़ों का निर्वचन (चार्ट, ग्राफ, तालिका, आंकड़ों की पर्याप्तता आदि-दसवीं कक्षा का स्तर)
(सामान्य अध्ययन द्वितीय पत्र महज क्वालीफाइंग है और इसमें न्यूनतम 33 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है। परंतु इसके अंक जोड़े नहीं जाते।)
नेगेटिव मार्किंगः प्रारंभिक परीक्षा में एक उत्तर गलत होने पर एक तिहाई अंक (0.33) अंक काटे जाएंगे।
FOR UPSC PRELIMS MOCK TEST IN HINDI CLICK HERE
मुख्य परीक्षा प्रणाली
मुख्य परीक्षा निम्नलिखित प्रश्नपत्र होते हैं:
क्वालीफाइंग पत्र
प्रश्न पत्र कः संविधान की आठवीं अनसूूची में सम्मिलत भाषाओं में से उम्मीदवारों द्वारा चुनी गई कोई एक भारतीय भाषा। कुल अंकः 300
प्रश्न पत्र खः अंग्रेजी, कुल अंकः 300
-इन दोनों प्रश्नपत्रें में न्यूनतम अंक लाना अनिवार्य है, इनमें न्यूनतम अंक नहीं लाने पर शेष पत्रें की उत्तर पुस्तिका नहीं जांची जाती। पर इनके अंक मेरिट तैयार करने में नहीं जोड़े जाते।
अनिवार्य पत्र
प्रश्न पत्र-1ः निबंध, कुल अंकः 250
प्रश्न पत्र-2ः सामान्य अध्ययन 1 (भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज) कुल अंकः 250
प्रश्न पत्र-3ः सामान्य अध्ययन 2 (शासन व्यवस्था, संविधान, शासन-प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध), कुल अंक-250
प्रश्न पत्र-4ः सामान्य अध्ययन 3 (प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन), कुल अंक-250,
प्रश्न पत्र-5ः सामान्य अध्ययन 4 (नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरूचि), कुल अंक-250
प्रश्न पत्र-6ः वैकल्पिक विषय प्रथम पत्र, कुल अंक-250
प्रश्न पत्र-7ः वैकल्पिक विषय द्वितीय पत्र, कुल अंक-250
लिखित परीक्षा कुल अंकः 1750
साक्षात्कारः 275 अंक
कुल योगः 2075
साक्षात्कार (275 अंक)
-जो उम्मीदवार मुख्य परीक्षा के लिखित भाग में आयोग के विवेकानुसार यथानिर्धारित न्यूनतम अर्हक अंक प्राप्त करते हैं उन्हें व्यक्तित्व परीक्षण के लिए साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया जाता है।
-साक्षात्कार के लिए बुलाए जाने वाले उम्मीदवारों की संख्या भरी जाने वाली कुल रिक्तियों की संख्या से लगभग दुगनी होती है।
यूपीएससी (UPSC) प्रारंभिकी एवं मुख्य परीक्षा GS ई-स्वमूल्यांकन कार्यक्रम CLICK HERE
मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन-1
(भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज)
-भारतीय संस्कृति के तहत प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला रूपों, साहित्य एवं वास्तुकला के मुख्य पहलुओं से प्रश्न पूछे जाएंगे।
-18वीं शताब्दी के मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तित्व, मुद्दे।
-स्वतंत्रता संघर्षः इसके विभिन्न चरण तथा देश के विभिन्न हिस्सों का योगदान तथा योगदान देने वाले व्यक्ति।
-स्वतंत्रता के पश्चात देश के अंदर एकीकरण व पुनर्गठन,
-विश्व का इतिहास में 18वीं शताब्दी की घटनाएं जैसे; औद्योगिक क्रांति, विश्व युद्ध, राष्ट्रीय सीमाओं का पुनः अंकन, औपनिवेशीकरण, विऔपनिवेशीकरण- साम्यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद जैसे राजनीतिक दर्शन और उनके रूप तथा समाज पर उनका प्रभाव।
– भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं, भारत की विविधता,
– महिलाओं तथा महिला संगठनों की भूमिका, जनसंख्या व संबंधित मुद्दे, गरीबी व विकास मुद्दे, शहरीकरणः समस्याएं व निदान।
-भारतीय समाज पर भूमंडलीकरण का प्रभाव
-सामाजिक सशक्तीकरण, सांप्रदायिकता क्षेत्रवाद व धर्मनिरपेक्षतावाद,
– विश्व की भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएं
– पूरे विश्व में मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण (दक्षिण एशिया एवं भारतीय उपमहाद्वीप सहित)_ विश्व के विभिन्न हिस्सों में (भारत सहित) प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रक उद्योगों की अवस्थिति के लिए उत्तरदायी कारक।
– भूकंप, सूनामी, ज्वालामुखीय गतिविधियां, चक्रवात इत्यादि जैसे मुख्य भौगोलिक घटनाएं_ भौगोलिक विशेषताएं एवं उनकी अवस्थिति-आकस्मिक भौगोलिक पहलुओं (जलीय निकाय और हिम शीर्ष) तथा वनस्पती व प्राणी समूहों में परिवर्तन व इन परिवर्तनों का प्रभाव।
सामान्य अध्ययन-2
(शासन व्यवस्था, संविधान, शासन-प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
-भारतीय संविधान-ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान व मूल ढ़ांचा,
-संघ एवं राज्यों का कार्य व उत्तरदायित्व, संघीय ढ़ांचा से संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियां, स्थानीय स्तर तक शक्ति व वित्त का हस्तांतरण व उसकी चुनौतियां,
-विभिन्न घटकों के बीच शक्ति का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र व संस्थान,
-भारतीय सांविधानिक योजना का अन्य देशों के साथ तुलना,
– संसद् व राज्य विधायिकाएंः संरचना, कार्य, कार्यों का संचालन, शक्ति व विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले विषय,
-कार्यपालिका व न्यायपालिका की संरचना, संगठन एवं कार्य, सरकार के मंत्रलय व विभाग_ दबाव समूह एवं औपचारिक/ अनौपचारिक संगठन तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका,
-जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं,
-विभिन्न सांविधानिक पदों पर नियुक्तियां, विविध सांविधानिक निकायों की शक्तियां, कार्य एवं उत्तरदायित्व,
-सांविधिक, विनियामक व विविध अर्द्ध- न्यायिक निकाय
-सरकारी नीतियां एवं विभिन्न क्षेत्रकों में विकास हेतु हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन व क्रियान्वयन से उत्पन्न मुद्दे,
– विकास प्रक्रियाएं एवं विकास उद्योगः एनजीओ, स्वयं सहायता समूह, विविध समूह एवं संगठनों, दानकर्त्ता, चैरिटी, संस्थागत व विभिन्न हिस्सेदारियों की भूमिका,
– केंद्र व राज्य द्वारा आबादी के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं_ इन वर्गों की बेहतरी व सुरक्षा के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थाएं एवं निकाय,
-स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से जुड़े सामाजिक क्षेत्रक/सेवाओं के विकास व प्रबंधन से जुड़े मुद्दे,
-गरीबी व भूखमरी से जुड़े मुद्दे,
– शासन, पारदर्शिता व उत्तरदायित्व से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे, ई-शासनः अभिक्रियाएं, आदर्श, सफलता, सीमाएं व क्षमता_ सिटिजन चार्टर, पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व एवं अन्य उपाय,
– लोकतंत्र में सिविल सेवा की भूमिका
-भारत एवं इसके पड़ोसीः संबंध
– भारत से जुड़े एवं/या भारत के हित को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह व समझौते,
-भारतीय हित में विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों व राजनीति का प्रभाव, इंडियन डायस्पोरा,
-महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संस्थान, एजेंसी एवं मंचः उनका गठन एवं मैंडेट।
सामान्य अध्ययन-3
(प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन)
– भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना से संबंधित मुद्दे, संसाधनों की लामबंदी, संवृद्धि, विकास एवं रोजगार।
-समावेशी विकास एवं इससे संबंधित मुद्दे।
– सरकारी बजट।
– प्रमुख फसलेंः देश के विभिन्न हिस्सों में फसल पैटर्न, सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली-भंडारण, परिवहन एवं कृषि उपज विपणन व इससे संबंधित मुद्दे और बाधाएं_ किसानों की सहायता में ई-प्रौद्योगिकी।
– प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कृषि सब्सिडी एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित मुद्दे, सार्वजनिक वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्यप्रणाली, सीमाएं, सुधार, खाद्य सुरक्षा एवं बफर स्टॉक से संबंधित मुद्दे, प्रौद्योगिकी मिशन, पशुपालन व्यवसाय।
-खाद्य प्रसंस्करण एवं भारत में इससे संबंधित उद्योग-संभावनाएं एवं महत्व, अवस्थिति, ऊपरी एवं निचले तबकों की बुनियादी जरूरतें, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन।
-भारत में भूमि सुधार।
-उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन और औद्योगिक वृद्धि पर उनके प्रभाव।
– अवसंरचनाः ऊर्जा, पत्तन, सड़कें, रेलवे आदि।
स निवेश मॉडल।
-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी-वैकासिक घटनाक्रम एवं उनके प्रयोग तथा दैनिक जीवन में इनका प्रभाव।
– विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारतीय उपलब्धियां_ प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण एवं नव प्रौद्योगिकी का विकास।
– सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-तकनीक, जैव-प्रौद्योगिकी एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता।
– संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।
– आपदा एवं आपदा प्रबंधन।
– विकास एवं अतिवाद (म्गजतमउपेउ) के प्रसार के बीच संबंध।
-आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां पैदा करने में बाह्य एवं गैर-राज्यों की भूमिका।
– संचार नेटवर्क से आंतरिक सुरक्षा को चुनौतियां, आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों में मीडिया एवं सोशल नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा संबंधी मूल अवधारणाएं, मनी-लांडरिंग व इसकी रोकथाम।
– सुरक्षा चुनौतियां एवं सीमावर्ती क्षेत्रें में उनका प्रबंधन_- आतंकवाद का संगठित अपराध के साथ संबंध।
– विभिन्न सुरक्षा बल एवं एजेंसी तथा उनके जनादेश।
यूपीएससी (UPSC) प्रारंभिकी एवं मुख्य परीक्षा GS ई-स्वमूल्यांकन कार्यक्रम CLICK HERE
सामान्य अध्ययन-4
(नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरूचि)
-नीतिशास्त्र व मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्व, इसके निर्धारक तत्व व नैतिकता के प्रभाव_ नीतिशास्त्र के आयाम, निजी व सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, मानवीय मूल्यः महान नेताओं, सुधारकों, प्रशासकों के जीवन व शिक्षाओं से शिक्षा- मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज व शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका,
-अभिवृत्तिः सारांश, संरचना, वृत्ति, विचार व व्यवहार के साथ इसका संबंध व प्रभाव_ नैतिक व राजनीतिक अभिवृत्ति_ सामाजिक प्रभाव व अनुनय,
-सिविल सेवा के लिए अभिरूचि एवं बुनियादी मूल्यः सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता एवं गैर पक्षपाती, वस्तुनिष्ठता, लोक सेवा के प्रति समर्पन, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता तथा संवेदना,
–भावनात्मक समझ (बुद्धि): अवधारणाएं तथा प्रशासन व शासन में उनकी उपयोगिता व अभिक्रियाएं।
स भारत एवं विश्व के नैतिक विचारकों व दार्शनिकों का योगदान,
– लोक प्रशासन में लोक/सिविल सेवा मूल्य एवं नीतिशास्त्रः स्थिति एवं समस्याएं_ सरकारी एवं निजी संस्थानों में नैतिक चिंताएं एवं दुविधाएं_ नैतिक निर्देशन के स्रोत के रूप में विधि, नियम, विनयम एवं अंतःकरण_ उत्तरदायित्व एवं नैतिक शासन_ शासन में नैतिक व आचारिक मूल्य सुदृढि़करण_ अंतरराष्ट्रीय संबंधों व वित्तीयन में नैतिक मुद्दे_ कॉरपोरेट गवर्नेंस,
– शाासन में नैतिकताः लोक सेवा की अवधारणा, शासन व नैतिकता का दार्शनिक आधार_ सूचना का आदान-प्रदान व सरकार में हिस्सेदारी, सूचना व अधिकार, नैतिक संहिता, आचार संहिता, सिटिजन चार्टर, कार्य संस्कृति, सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता, सार्वजनिक निधि का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियां,
-उपर्युक्त मुद्दों पर केस स्टडी।
FOR UPSC PRELIMS MOCK TEST IN HINDI CLICK HERE
यूपीएससी (UPSC) प्रारंभिकी एवं मुख्य परीक्षा GS ई-स्वमूल्यांकन कार्यक्रम CLICK HERE
Sometimes,when there were too many confusion,how did they begin prepare … this post is very helpful so very much thanks…