नागरिकों के सशक्तिकरण के लिए “नागपुर संकल्प” अपनाया गया

महाराष्‍ट्र के नागपुर में 22 दिसंबर 2019 को ‘सार्वजनिक सेवा आपूर्ति में सुधार करना- सरकारों की भूमिका’ पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान ‘नागपुर संकल्प- नागरिकों के सशक्तीकरण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण’ ( Nagpur Resolution- A holistic approach for empowering citizens ) को अपनाया गया।

केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग मंत्री, श्री नितिन जयराम गडकरी तथा पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास (स्‍वतंत्र प्रभार) मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह इस संकल्‍प को अंगीकृत करने के दौरान उपस्थित थे।

इस सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और जन शिकायतें विभाग (डीएआरपीजी) और महाराष्ट्र सरकार तथा जन सेवा अधिकार के लिए महाराष्‍ट्र राज्‍य आयोग के सहयोग से आयोजित किया गया।

नागपुर संकल्प

इस सम्‍मेलन में संकल्‍प लिया गया कि भारत सरकार, महाराष्‍ट्र सरकार और सार्वजनिक सेवा अधिकार के लिए महाराष्‍ट्र राज्‍य आयोग और भागीदारी करने वाली राज्‍य सरकारें निम्‍नलिखित कार्य करेंगी-

  • नागरिक चार्टर्स के समय पर उन्‍नयन, लगातार सुधार के लिए अधिनियमों और बेंचमार्किंग मानकों के माध्‍यम से बेहतर सेवा आपूर्ति के लिए नीतिगत प्रयासों द्वारा नागरिकों को सशक्‍त बनाना।
  • शिकायत निवारण की गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर सुधार लाने और शिकायत निवारण में लगने वाले समय को कम करने के लिए उचित दृष्टिकोण अपनाकर नागरिकों को सशक्त बनाना।
  • उन्‍नत मैपिंग, निगरानी प्रणाली के गठन, डाटा संग्रह और शिकायत निवारण की गुणवत्ता के मूल्यांकन के माध्यम से प्रणालीगत समग्र दृष्टिकोण को अपनाना।
  • वेब पोर्टलों के निर्माण और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेहतर सेवा वितरण के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने हेतु राज्‍यों और भारत सरकार के मंत्रालयों ओर विभागों में सक्षम वातावरण उपलब्‍ध कराना।
  • गतिशील नीति निर्माण और रणनीतिक निर्णय, कार्यान्वयन की निगरानी, ​​प्रमुख कर्मियों की नियुक्ति, समन्वय और मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करना।
  • एक भारत – श्रेष्ठ भारत के तहत युग्मित राज्यों के बीच बेहतर सेवा वितरण के क्षेत्रों में तकनीकी विशेषज्ञता के आदान-प्रदान द्वारा सामान्‍य पहचान की भावना को अर्जित करना।
  • 10 क्षेत्रों, विशेष रूप से केंद्र, राज्‍य और जिला स्‍तर पर कल्‍याण और बुनियादी ढांचा से संबंधित क्षेत्रों में, शासन की गुणवत्ता की पहचान के लिए सुशासन सूचकांक के समय पर प्रकाशन को सुनिश्चित करना।

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