मंत्रिमंडल ने 4 स्टार जनरल के रैंक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ का पद सृजित करने की मंजूरी दी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 24 दिसंबर 2019 को देश में उच्च रक्षा प्रबंधन में जबरदस्त सुधार के साथ 4 स्टार जनरल के रैंक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ ( Chief of Defence Staff ) का पद सृजित करने की मंजूरी दे दी, जिनका वेतन और अतिरिक्त सुविधाएँ सर्विस चीफ के बराबर होंगी।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ सैनिक मामलों के विभाग (डीएमए) का भी प्रमुख होगा, जिसका गठन रक्षा मंत्रालय के भीतर किया जाएगा और वह उसके सचिव के रूप में कार्य करेगा।

सैन्य मामलों का विभाग ( Department of Military Affairs : DMA )

चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के नेतृत्व में सैन्य मामलों का विभाग निम्मलिखित क्षेत्रों में  कार्य करेगा :  

  1. संघ की सशस्त्र सेना यानि सेना, नौसेना और वायु सेना।
  2. रक्षा मंत्रालय के समन्वित मुख्यालय जिनमें सेना मुख्यालय, नौसेना मुख्यालय, वायु सेना मुख्यालय और डिफेंस स्टॉफ मुख्यालय शामिल है।
  3. प्रादेशिक सेना।
  4. सेना, नौसेना और वायु सेना से जुड़े कार्य ।
  5. चालू नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार पूंजीगत प्राप्तियों को छोड़कर सेवाओं के लिए विशिष्ट खरीद। 

उपरोक्त मामलों के अलावा सैन्य मामलों के विभाग के अधिकार क्षेत्र में निम्नलिखित बातें भी शामिल होंगीः-

  • एकीकृत संयुक्त योजनाओं और आवश्यकताओं के माध्यम से सैन्य सेवाओं की खरीद, प्रशिक्षण और स्टॉफ की नियुक्ति की प्रक्रिया में समन्वय लाना।
  • संयुक्त संचालन के माध्यम से संसाधनों के तर्कसंगत इस्तेमाल के लिए सैन्य कमानों के पुनर्गठन और संयुक्त थिएटर कमानों के गठन की सुविधा।
  • सेनाओं द्वारा स्वदेश निर्मित उपकरणों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना।

सैन्य मामलों के विभाग का प्रमुख होने के अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ चीफ ऑफ स्टॉफ कमेटी के अध्यक्ष भी होंगे।

वे सेना के तीनों अंगों के मामले में रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे, लेकिन इसके साथ ही तीनों सेनाओं के अध्यक्ष रक्षा मंत्री को अपनी सेनाओं के संबंध में सलाह देना जारी रखेंगे।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ तीनों सेनाओं के प्रमुखों का कमान नहीं करेंगे और नहीं किसी अन्य सैन्य कमान के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करेंगे, ताकि राजनीतिक नेतृत्व को सैन्य मामलों में निष्पक्ष सुझाव दे सके।

चीफ ऑफ स्टॉफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष के रूप में चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ निम्नलिखित कार्य करेंगेः-

  • वे तीनों सैन्य सेवाओं के लिए प्रशासनिक कार्यों की देख-रेख करेंगे। तीनों सेवाओं से जुड़ी एजेंसियों, संगठनों तथा साइबर और स्पेस से संबंधित कार्यों की कमान चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के हाथों में होगी।
  • सीडीएस रक्षा मंत्री की अध्‍यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद और एनएसए की अध्‍यक्षता वाली रक्षा नियोजन समिति के सदस्‍य होंगे।
  • परमाणु कमान प्राधिकरण के सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करेंगे।
  • प्रथम सीडीएस के पदभार संभालने के बाद तीन वर्षों के भीतर तीनों ही सेवाओं के परिचालन, लॉजिस्टिक्‍स, आवाजाही, प्रशिक्षण, सहायक सेवाओं, संचार, मरम्‍मत एवं रखरखाव इत्‍यादि में संयुक्तता सुनिश्चित करेंगे।
  • अवसंरचना का इष्‍टतम उपयोग सुनिश्चित करेंगे और तीनों ही सेवाओं के बीच संयुक्‍तता के जरिए इसे तर्कसंगत बनाएंगे।
  • एकीकृत क्षमता विकास योजना (आईसीडीपी) के बाद आगे के कदम के रूप में पंचवर्षीय रक्षा पूंजीगत सामान अधिग्रहण योजना (डीसीएपी) और दो वर्षीय सतत वार्षिक अधिग्रहण योजनाओं (एएपी) को कार्यान्वित करेंगे।
  • अनुमानित बजट के आधार पर पूंजीगत सामान खरीद के प्रस्‍तावों को अंतर-सेवा प्राथमिकता देंगे।
  • अपव्‍यय में कमी करके सशस्‍त्र बलों की लड़ाकू क्षमताएं बढ़ाने के लिए तीनों सेवाओं के कामकाज में सुधारों को लागू करेंगे।

यह उम्‍मीद की जा रही है कि उच्‍च रक्षा प्रबंधन में इस सुधार से सशस्‍त्र बल समन्वित रक्षा सिद्धांतों एवं प्रक्रियाओं को लागू करने में समर्थ हो जाएंगे और इसके साथ ही यह तीनों सेवाओं के बीच एक साझा रणनीति के साथ एकीकृत सैन्य अभियान के संचा‍लन को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित होगा। प्रशिक्षण,  लॉजिस्टिक्‍स एवं परिचालनों के साथ-साथ खरीद को प्राथमिकता देने में भी संयुक्‍त रणनीति अपनाने के लिए समन्वित प्रयास करने से देश लाभान्वित होगा।

पृष्‍ठभूमि

  • 15 अगस्‍त, 2019 को राष्‍ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा को ध्‍यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।
  • प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था, ‘भारत में खंडित दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए। हमारी पूरी सैन्य शक्ति को एकजुट होकर काम करना होगा और आगे बढ़ना होगा। सभी तीनों सेवाओं को एक साथ एक ही गति से आगे बढ़ना चाहिए। अच्छा सामंजस्‍य होना चाहिए और यह देशवासियों की आशा एवं आकांक्षाओं के लिए प्रासंगिक होना चाहिए। यह विश्‍व भर में बदलते युद्ध और सुरक्षा परिदृश्‍य के अनुरूप होना चाहिए। इस पद (सीडीएस) के सृजन के बाद तीनों ही सेनाओं को शीर्ष स्तर पर प्रभावशाली नेतृत्व सुनिश्चित होगा।’

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