Why in the news?
The topic was in the news as the Supreme Court referred the Sabarimala temple case to a larger 7-judge Bench.
What does it mean?
The doctrine of “essentiality” was first used by a 7-judge Bench of the Supreme Court in the ‘Shirur Mutt’ case in 1954. The apex court held that the term “religion” will cover all rituals and practices “integral” to a religion, and took upon itself the responsibility of determining the essential and non-essential practices of a religion.
What is Ismail Faruqui case?
In Dr M Ismail Faruqui and Ors vs Union Of India and Ors’.,1994, the SC Constitution Bench had ruled that a mosque is not an essential part of the practice of the religion of Islam and namaz (prayer) by Muslims can be offered anywhere, even in open.” (Source: Indian Express)
‘अपरिहार्यता के सिद्धांत’ (डॉक्ट्रिन ऑफ एसेंसियलिटी)
‘अपरिहार्यता के सिद्धांत’ (डॉक्ट्रिन ऑफ एसेंसियलिटी) का प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 1954 शिरूर मठ बाद में में किया था। इस सिद्धांत के तहत सर्वोच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि ‘धर्म’ शब्द के तहत धर्म से जुड़ी सभी अनिवार्य प्रथाएं एवं परंपराओं को शामिल किया जाएगा। अर्थात धर्म के मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायालय यह निर्धारित करेगा कि कौन सी प्रथाएं धर्म का अभिन्न अंग है। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश पर सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2018 के निर्णय के खिलाफ अपील को हाल में सात सदस्यीय संविधान पीठ को सौपने के संदर्भ में यह सिद्धांत चर्चा में रहा। इसी आधार पर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इसे सात सदस्यीय संविधान को सौंप दिया। वर्ष 1994 में सर्वोच्च न्यायालय ने इसी सिद्धांत के आधार पर यह निर्णय दिया था कि इस्लामिक परंपराओं के पालन के लिए मस्जिद अनिवार्य अंग नहीं है और मुसलमान किसी भी जगह पर नमाज पढ़ सकते हैं।