- भारत में पहली बार देश के 15 प्रतिशत विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन डिग्री वितरित करने का अधिकार प्रदान किया जाएगा जिससे छात्र एवं एग्जीक्यूटिव को कहीं भी व किसी भी समय सीखने का अवसर उपलब्ध हो सकेगा।
- केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडे़कर ने नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद् (CABE) की 65वीं बैठक के दौरान इसकी घोषणा की। उनके मुताबिक मंत्रालय इस संबंध में दिशा-निर्देश तैयार कर रहा है।
- केवल उन्हीं विश्वविद्यालयों को तीन वर्षीय ऑनलाइन डिग्री देने की अनुमति दी जाएगी जिन्हें ‘राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद्’ (National Assessment and Accreditation Council: NAAC) से A+ and A++ स्कोर प्राप्त है। देश में ऐसे विश्वविद्यालय 15 प्रतिशत है।
- परंतु ऐसे विश्वविद्यालय से ऑनलाइन माध्यम से केवल गैर-तकनीकी डिग्री ही प्रदान की जाएगी अर्थात इनसे इंजीनियरिंग या मेडिकल की डिग्री नहीं ली जा सकती।
- ऐसे विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन डिग्री के लिए पाठ्यक्रम निर्धारित करने व प्रश्नपत्र सेट करने की स्वतंत्रता होगी जो वस्तुनिष्ठ या लिखित भी हो सकता है।
- वर्तमान में कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा ऑनलाइन डिग्री जरूर प्रदान की जाती है पंरतु उनके लिए कोई दिशा-निर्देश निर्धारित नहीं है।
- सरकार को आशा है कि इस कदम से उच्चतर शिक्षा में नामांकन दर को बढ़ाया जा सकता है जो अभी काफी कम है। चूंकि देश में 14 से 18 वर्ष के 73 प्रतिशत युवा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, ऐसे में इसका लाभ उठाया जा सकता है।
- वैसे कुछ विशेषज्ञों ने ऑनलाइन माध्यम से दी जाने वाली शिक्षा के गुणवत्ता स्तर पर प्रश्न चिह्न खड़ा किया है।