केंद्रीय वित्त और कार्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 29 अक्टूबर को परमहंस योगानंद की 125वी जयंती के अवसर पर एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में वित्त मंत्री ने कहा कि यह अवसर उनके लिए एक बहुत बड़ा सम्मान है। परमहंस योगानंद भारत के महान सपूत थे,जिन्हें संपूर्ण विश्व में अपनी छाप छोड़ी। परमहंस योगानंद की आंखे दिव्य शक्ति से भरी थी। मानवता के लिए सौहार्द के उनके संदेश को पूरे विश्व ने तब स्वीकार किया, जब संचार के माध्यम सीमित थे।
संपूर्ण विश्व 29 अक्टूबर को परमहंस योगानंद का स्मरण करता है, जो सभी के लिए एकता का संदेश लेकर आए थे।
परमहंस योगानंद, 1893 में पैदा हुए, पश्चिम देश में स्थायी निवास लेने वाले संभवतः भारत के पहले योग गुरु थे। उनका मूल नाम मुकुंद लाल घोष था।
योगानंद 1920 में अमेरिका पहुंचे, और उन्होंने पूरे अमेरिका की यात्रा की, जिसे उन्होंने “आध्यात्मिक अभियान” कहा।
पहली बार 1946 में प्रकाशित उनकी ‘योगी की आत्मकथा’ ने पश्चिम में आध्यात्मिक क्रांति लाने में मदद की।
उन्होंने 1917 में भारत का योगदा सत्संग सोसायटी की स्थापना की थी। इसके माधयम से उन्होंने क्रिया योग का प्रचार किया।