उमाशंकर मिश्र (Twitter handle : @usm_1984)
नई दिल्ली, 21 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): भारतीय वैज्ञानिक अब कोविड-19 से गंभीर रूप से ग्रस्त रोगियों पर सेप्सिस के उपचार के लिए उपयोग होने वाली दवा का परीक्षण करने जा रहे हैं। ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया जनित सेप्सिस की दवा का उपयोग इस परीक्षण में किया जाएगा।सेप्सीवैक नामक इस दवा को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक ऐंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के सहयोग से दवा कंपनी कैडिला फार्मास्यूटिकल्स ने विकसित किया है।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने कहा है कि “ग्राम नेगेटिव सेप्सिस के कारण होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए कैडिला फार्मास्यूटिकल्स ने इस दवा पर व्यापक क्लिनिकल ट्रायल किए हैं। इस दवा के उपयोग से सेप्सिस केगंभीर रोगियों की मौतों में 50 प्रतिशत से अधिक कमी देखी गई है। हमें उम्मीद है कि कोविड-19 के खिलाफ किए जाने वाले इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल से भी मौतों को रोकने में मदद मिल सकती है।”
कोविड-19 से पीड़ित मरीजों और ग्राम नेगेटिव सेप्सिस की मिलती-जुलती चिकित्सीय विशेषताओं को देखते हुए सीएसआईआर ने इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल की पहल की है। इस पहल का उद्देश्य कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार मरीजों में एमडब्ल्यू की क्षमता का मूल्यांकन करना है।
वैज्ञानिकों का कहना हैकि ग्राम नेगेटिव सेप्सिस और कोविड-19 से गंभीर रूप से ग्रस्त रोगियों में परिवर्तित प्रतिरोधी प्रतिक्रिया उभरने लगती है, जिससे मरीजों के साइटोकीन (Cytokine) प्रोफाइल में व्यापक बदलाव देखने को मिलता है। इस दवा का उपयोग साइटोकीन में होने वाले बदलाव को बाधित करके मरीजों को जल्दी स्वस्थ होने में मदद कर सकता है। ग्राम नेगेटिव सेप्सिस से गंभीर रूप से ग्रस्त मरीजों के अंगों के काम न करने की स्थिति में भी यह दवा असरदार पायी गई है।
सेप्सिसकी इस दवा में ऊष्मा से उपचारित (Heat Killed) निष्क्रिय माइकोबैक्टीरियमडब्ल्यू(एमडब्ल्यू)का उपयोग किया जाता है, जिसका मरीजों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है।कोविड-19के रोगियों के उपचार के लिए इस दवा को किसी अन्य उपचार के साथ समानांतर रूप से उपयोग किया जा सकता है।ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से यह क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की मंजूरी मिल गई है और जल्दी ही कुछ चुनिंदा अस्पतालों में यह ट्रायल शुरू हो सकता है।
सीएसआईआर अपने न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनिशिएटिव (एनएमआईटीएलआई) कार्यक्रम के तहत ग्राम नेगेटिव सेप्सिस से होने वाली मौतों को रोकने के लिएकैडिला फार्मास्यूटिकल्स को इसकी दवा विकसित करने के लिए वर्ष 2007 से सहयोग कर रहा है। इस दवा के विकास से संबंधित अध्ययन की निगरानी सीएसआईआर की एक निगरानी समिति द्वारा की जा रही थी। अब इस दवा के विपणन की अनुमति मिल गई है, जो सेप्सीवैक नाम से बाजार में उपलब्ध होगी।भारत के लिए इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है, क्योंकि बेहतर प्रयासों के बावजूद, वैश्विक स्तर पर ग्राम-नेगेटिव सेप्सिस के कारण होने वाली मौतों को कम करने के लिए किसी अन्य दवा को मंजूरी नहीं मिली है।(इंडिया साइंस वायर)