कर्नाटक में बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुरा के होयसल मंदिरों को वर्ष 2022-2023 के लिए विश्व धरोहर के रूप में विचार करने के लिए भारत के नामांकन के रूप में शामिल किया गया है।
- होयसल के ये पवित्र स्मारक 15 अप्रैल, 2014 से संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की संभावित सूची में हैं और मानव रचनात्मक प्रतिभा के उच्चतम बिंदुओं में से एक का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही और भारत की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत की गवाही भी देते हैं।
- ये तीनों होयसल मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षित स्मारक हैं और इसलिए इनका संरक्षण और रखरखाव एएसआई द्वारा किया जाएगा। राज्य सरकार इन तीन स्मारकों के आसपास स्थित राज्य संरक्षित स्मारकों के संरक्षण को सुनिश्चित करेगी जिससे कि यह सभी स्मारक एक ही स्थान की दृश्य अखंडता से जुड़ जाएंगे।
- 12वीं-13वीं शताब्दी में निर्मित और यहां बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुरा के तीन घटकों द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया होयसल का पवित्र समूह, होयसला के कलाकारों और वास्तुकारों की उस रचनात्मकता और कौशल को प्रमाणित करता है जिसके अंतर्गत तब से अब तक इस तरह की उत्कृष्ट कृतियों का निर्माण पहले कभी नहीं देखा गया।
- होयसल मंदिरों में एक मूलभूत द्रविड़ आकारिकी प्रयुक्त की गई है किन्तु यहाँ मध्य भारत में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली भूमिजा पद्यति, उत्तरी और पश्चिमी भारत की नागर परंपरा और कल्याणी चालुक्यों द्वारा समर्थित कर्नाटक द्रविड़ पद्यति के सुस्पष्ट एवं सुद्रढ़ प्रभाव भो दृष्टिगोचर हैं।