पुणे स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए स्वदेशी आईजीजी एलिसा टेस्ट ‘कोविड कवच एलिसा’ (IgG ELISA test “COVID KAVACH ELISA”) को विकसित करते हुए इसे मान्यता दे दी है।
- जबकि सार्स-सीओवी-2 के निदान के रियल टाईम आरटी-पीसीआर एक प्रमुख परीक्षण है और जनसंख्या में संक्रमण के अनुपात को समझने के मामले में निगरानी हेतु मजबूत एंटीबॉडी परीक्षण इस दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम हैं। पुणे स्थित आईसीएमआर-एनआईवी के वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी-2 के लिए एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए पूरी तरह से स्वदेशी आईजीजी एलिसा टेस्ट को विकसित करने और इसे मान्यता देने की दिशा में उत्साहजनक कार्य किया है।
- परीक्षण को मुंबई के दो स्थलों पर मान्य किया गया और इसमें उच्च संवेदनशीलता और विशिष्टता पायी गयी है। इसके अलावा, इससे ढाई घंटे के एक निरंतर परीक्षण में एक साथ 90 नमूनों के परीक्षण का लाभ मिल सकेगा।
- इसके अलावा, एलिसा (ELISA: enzyme-linked immunosorbent assay) आधारित परीक्षण जिला स्तर पर भी आसानी से संभव है। रियल टाईम आरटी-पीसीआर () परीक्षण की तुलना में इसमें न्यूनतम जैव-सुरक्षा की आवश्यकता होती हैं। कई उच्च परीक्षण किट, जो हाल ही में भारतीय बाजार में आई हैं, उनकी तुलना में इस परीक्षण में अत्यधिक संवेदनशीलता और विशिष्टता भी है।
- इस अवसर पर अपने संबोधन में, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पुणे के आईसीएमआर-एनआईवी द्वारा विकसित कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए स्वदेशी आईजीजी एलिसा मानव परीक्षण किट जनसंख्या में सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण के अनुपात को समझने के लिए निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- आईसीएमआर ने एलिसा परीक्षण किट के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए ज़ाइडस कैडिला के साथ भागीदारी की है। पुणे स्थित आईसीएमआर-एनआईवी में विकास के बाद, बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए इस प्रौद्योगिकी को ज़ाइडस कैडिला को स्थानांतरित कर दिया गया है, जो एक नवाचार संचालित वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कंपनी है।