स्टॉकहोम समझौते में सूचीबद्ध सात दीर्घस्‍थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर प्रतिबंध

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 7 अक्टूबर, 2020 को स्टॉकहोम समझौते में सूचीबद्ध सात दीर्घस्‍थायी कार्बनिक प्रदूषकों (Stockholm Convention on Persistent Organic Pollutants: POP) पर प्रतिबंध को अनुमोदित किया।

सात रसायन हैं (i)क्‍लोरडीकोन, (ii) हेक्‍साब्रोमोडीफिनाइल, (iii) हेक्‍साब्रोमोडीफिनाइल इथर और हेप्टैब्रोमोडिफेनलेथर (कमर्शियल ऑक्टा-बीडीई), (iv) ट्रेटाब्रोमोडिफेनिल ईथर और पेंटाब्रोमोडीफिनाइल इथर (कमर्शियल पेंटा-बीडीई), (v) पेंटाक्‍लोरोबेंजीन,(vi) हेक्‍साब्रोमोसाइक्‍लोडोडीकेन,और(vii) हेक्‍साक्‍लोरोबूटाडीन.

स्टॉकहोम समझौता

  • स्टॉकहोम समझौता मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को पीओपी से बचाने के लिए एक वैश्विक संधि है, जो पहचाने हुए रासायनिक पदार्थ हैं जो पर्यावरण में बने रहते हैं, जीवित जीवों में जैव-संचय करते हैं, मानव स्वास्थ्य/पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं और जिसमें लोंग रेंज एनवायरमेंटल ट्रांसपोर्ट (एलआरईटी) की प्रकृति रखते हैं।
  • स्टॉकहोम समझौता पर वर्ष 2001 में हस्ताक्षर किये गये तथा 17 मई 2004 को लागू हुआ।
  • पीओपी के संपर्क में आने से कैंसर हो सकता है, केन्‍द्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचता है, प्रतिरक्षा प्रणाली की बीमारियां, प्रजनन संबंधी विकार और सामान्य शिशु और बच्‍चों के विकास में बाधा आ सकती है। सदस्य देशों के बीच गहन वैज्ञानिक शोध, विचार-विमर्श और वार्ता के बाद स्टॉकहोम समझौते के लिए विभिन्न अनुबंधों में पीओपी सूचीबद्ध हैं।
  • भारत ने अनुच्छेद 25 (4) के अनुसार 13 जनवरी, 2006 को स्टॉकहोम समझौते की पुष्टि की थी जिसने उसे स्वयं को एक डिफ़ॉल्ट “ऑप्ट-आउट” स्थिति में रखने के लिए सक्षम बनाया, ताकि समझौते के विभिन्न अनुलग्नकों में संशोधन तब तक लागू नहीं हो सके जब तक कि सत्‍यापन/स्वीकृति/अनुमोदन या मंजूरी का प्रपत्र स्पष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र के धरोहर स्‍थान में जमा न हो जाए।
  • पीओपी पर प्रतिबंध की पुष्टि के लिए कैबिनेट की मंजूरी पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की रक्षा के संबंध में अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • यह नियंत्रण उपायों को लागू करने, अनजाने में उत्पादित रसायनों के लिए कार्य योजनाओं को विकसित और कार्यान्वित करने, रसायनों के भंडार के आविष्कारों को विकसित करने और समीक्षा करने के साथ-साथ अपनी राष्ट्रीय कार्यान्वयन योजना (National Implementation Plan) को अद्यतन करने के लिए पीओपी पर सरकार के संकल्प को भी दर्शाता है।
  • सत्‍यापन प्रक्रिया भारत को एनआईपी को आधुनिक बनाने में वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) वित्तीय संसाधनों तक पहुंचने में सक्षम बनाएगी।
  • मंत्रिमंडल ने घरेलू नियमों के तहत विनियमित की गई प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्‍य से पीओपी के संबंध में अपनी शक्तियां केन्‍द्रीय विदेश मंत्री (एमईए) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (एमईएफसीसी) मंत्री को सौंप दी हैं।

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