राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन ( National Supercomputing Mission: NSM ) के तहत स्वदेशी रूप से एसेम्ब्लेड की गयी प्रथम सुपरकंप्यूटर परम शिवाय आईआईटी (बीएचयू) में स्थापित किया गया । इसी तरह के सिस्टम परम शक्ति और परम ब्रह्म क्रमशः IIT-खड़गपुर और IISER, पुणे में स्थापित किए गए। वे वेदर एंड क्लाइमेट, कम्प्यूटेशनल फ्लूड डायनामिक्स, बायोइनफॉरमैटिक्स और मैटेरियल साइंस जैसे डोमेन एप्लिकेशन से लैस हैं।
अप्रैल 2020 तक तीन और सुपर कंप्यूटर स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है, आईआईटी-कानपुर, जेएन सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरु और आईआईटी-हैदराबाद में एक-एक सुपरकम्यूटर लगाया जाएगा। इनमें 6 पीएफ की सुपरकंप्यूटिंग सुविधा प्रदान की जाएगी।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम)
भारत के राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) मिशन की स्थापना देश को सुपरकंप्यूटिंग बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए की गई थी ताकि भारत में सुपरकंप्यूटरों के डिजाइन तैयार करने और स्वदेश में उनका निर्माण करने की क्षमता उत्पन्न करके शैक्षणिक समुदाय, अनुसंधानकर्ताओं, एमएसएमई, और स्टार्टअप्स की बढ़ती अभिकलनात्मंक मांगों को पूरा किया जा सके।
देश की कंप्यूटिंग शक्ति को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरह का पहला प्रयास, राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन को इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया गया है और केन्द्र द्वारा उन्नत कंप्यूटिंग (सी-डैक), पुणे और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के विकास के लिए लागू किया गया है।
मिशन का लक्ष्य
मिशन का लक्ष्य 2022 तक देश के राष्ट्रीय महत्व के शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में कुछ टेरा फ्लॉप्स (टीएफ) से लेकर सैकड़ों टेरा फ्लॉप्स (टीएफ) के और 3 पेटा फ्लॉप्स (पीएफ) के बराबर या उससे अधिक की तीन प्रणालियों के साथ सुपर कंप्यूटरों का एक नेटवर्क स्थापित करना है । कुल 15-20 पीएफ की परिकल्पना वाले सुपरकंप्यूटरों के इस नेटवर्क को 2015 में मंजूरी दी गई और बाद में इसमें संशोधन करके इसे कुल 45 पीएफ (45000 टीएफ) का कर दिया गया, जो उसी लागत के भीतर 6 गुना अधिक गणना शक्ति वाला और बड़ी और जटिल कम्प्यूटेशनल समस्याओं को हल करने में सक्षम था।