चुनावी बॉंड जारी करने पर रोक लगाने की याचिका खारिज

सर्वोच्च न्यायालय ने पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पहली अप्रैल से दस अप्रैल तक चुनावी बॉंड जारी करने पर रोक लगाने के बारे में एसोएिसशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म–ए.डी.आर. (ADR) नाम के एन.जी.ओ. की याचिका को आज खारिज कर दिया।

  • याचिका दायर करने वाले एन.जी.ओ. ने अनुरोध किया था कि जब तक 2018 की चुनावी बांड योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बारे में उच्‍चतम न्‍यायालय कोई फैसला नहीं कर देता तब तक नए चुनावी बांडों की बिक्री नहीं की जानी चाहिए।
  • प्रधान न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति एस.ए. बोबडे की अध्‍यक्षता वाली तीन न्‍यायाधीशों की पीठ का कहना था कि इससे पहले भी कई बार चुनावी बॉंड जारी किये जा चुके हैं और चुनाव पर इसके दुष्‍प्रभाव का कोई प्रमाण नहीं मिला है।
  • वर्ष 2018 की योजना में राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों की पहचान गुप्‍त रखने की बात भी कही गई थी।

चुनावी बांड योजना (Electoral Bond Scheme)

  • सरकार ने 2 जनवरी, 2018 को चुनावी बांड योजना अधिसूचित की थी।
  • चुनावी बांड ब्‍याज-मुक्‍त बांड हैं जिनका उपयोग अपनी पहचान बताए बिना राजनीतिक दलों को चंदा देने में किया जाता है।
  • ये प्रोमिसरी नोट की तरह हैं जिसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है और अपनी पसंद की पार्टी को इनके जरिये चंदा दे सकती है।
  •  केवल वैसी राजनीतिक पार्टियां, जो जन प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 (1951 का 43) के अनुच्‍छेद 29ए के तहत पंजीकृत हों और जिसने आम लोकसभा चुनावों या राज्‍य विधानसभा चुनावों में डाले गये मतों के एक प्रतिशत से कम मत प्राप्‍त नहीं किये हों, चुनावी बॉण्‍ड प्राप्‍त करने की पात्र होंगी।
  • इनकी बिक्री के लिए केवल भारतीय स्‍टेट बैंक को प्राधिकृत किया गया है।
  • इनके जरिये एक हजार रूपये, दस हजार रूपये, एक लाख रूपये, दस लाख रूपये और एक करोड रूपये तथा इनके गुणक में बांड खरीदे जा सकते हैं।
  • कोई भारतीय नागरिक या कंपनी अधिकतम कितने बांड खरीदेगी इसकी कोई सीमा नहीं रखी गई है।

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