केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 389 विशेष पोक्सो न्यायालयों सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफटीएससी) को केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के रूप में 01 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2023 तक जारी रखने की मंजूरी दी है और इसके लिए कुल 1572.86 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्से के रूप में 971.70 करोड़ रुपये और राज्य के हिस्से के रूप में 601.16 करोड़ रुपये) की धनराशि निर्धारित की गयी है।
केंद्रीय हिस्से की धनराशि निर्भया फंड से उपलब्ध करायी जाएगी। यह योजना 02 अक्टूबर, 2019 को शुरू की गई थी।
बारह वर्ष से कम उम्र की नाबालिग लड़कियों और सोलह वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में अधिक कड़े प्रावधान, त्वरित सुनवाई और मामलों के निपटान के लिए, केंद्र सरकार ने “आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018” लागू किया और दुष्कर्म के अपराधियों के लिए मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान किया। इससे फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय (एफटीएससी) की स्थापना हुई।
फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय समर्पित अदालतें हैं, जिनमें अदालती प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाती है। इन न्यायालयों की अंतिम फैसले देने की दर नियमित अदालतों की तुलना में बेहतर है और ये न्यायालय अदालती प्रक्रिया तेज गति से पूरा करते हैं। असहाय पीड़ितों को त्वरित न्याय प्रदान करने के अलावा, यह व्यवस्था यौन अपराधियों के खिलाफ निवारक ढांचे को मजबूत करती है।
वर्तमान में ये न्यायालय 28 राज्यों में कार्यरत हैं और सभी 31 राज्यों, जो योजना में शामिल होने के पात्र हैं, में इनके विस्तार का प्रस्ताव है।