प्रधानमंत्री ने पीएम-किसान की 9वीं किस्त जारी की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 9 अगस्त, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त जारी की। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने किसान लाभार्थियों से बातचीत भी की। 19,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि, 9.75 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसान परिवारों को अंतरित की गई।

यह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की 9वीं किस्त थी। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अब तक 1 लाख 60 करोड़ रुपए किसानों को दिए गए हैं ।

पीएम किसान सम्मान निधि

  • इस योजना का शुभारंभ देश भर के सभी खेतीहर किसानों के परिवारों को आय सहायता प्रदान करके किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था, ताकि उनकी कृषि और संबद्ध गतिविधियों के साथ-साथ घरेलू व्यय की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
  • इस योजना के तहत प्रति वर्ष 6,000 रुपये की राशि को 2000 रुपये की तीन मासिक किस्तों में प्रत्येक चौथे माह किसानों के बैंक खातों में सीधे हस्तांतरित किया जाता है। उच्च आय की स्थिति से संबंधित मामले अपवाद के रूप में कुछ मानदंडों के अधीन है।
  • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का औपचारिक रूप से शुभारंभ 24 फरवरी, 2019 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक भव्य समारोह के साथ किया था।यह योजना 01 दिसम्बर, 2018 से प्रभावी है। पात्रता के संबंध में लाभार्थियों की पहचान के लिए समय सीमा तिथि 01 फरवरी, 2019 थी। लाभार्थियों की पहचान का पूर्ण दायित्व राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों पर है।
  • लाभार्थियों को वित्तीय लाभ पीएम-किसान वेब-पोर्टल पर उनके द्वारा तैयार और अपलोड किए गए आंकड़ों के आधार पर जारी किए जाते हैं।इस योजना के तहत प्रारंभ में पूरे देश में 2 हेक्टेयर तक की कृषि योग्य भूमि रखने वाले सभी छोटे और सीमांत किसानों के परिवारों को आय सहायता प्रदान की गई।
  • बाद में 01 जून 2019 से इसके दायरे को विस्तारित करते हुए देश के सभी खेतीहर किसान परिवारों को इसमें शामिल किया गया। हालाकि पिछले मूल्यांकन वर्ष में, आयकर अदा करने वाले प्रभावशाली पेशेवर किसानों जैसे चिकित्सकों, अभियंताओं, अधिवक्ताओं, सनदी लेखाकारों और प्रति माह कम से कम 10,000 रुपये के पेंशनभोगियों (एमटीएस/चतुर्थ श्रेणी/ समूह घ कर्मचारी को छोड़कर) को इस योजना से बाहर रखा गया है। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जहां भूमि स्वामित्व के अधिकार समुदाय आधारित हैं, वन निवासी और झारखंड, जिनके पास भूमि के अद्यतन रिकॉर्ड और भूमि हस्तांतरण पर प्रतिबंध नहीं है।

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