केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री श्री नितिन गडकरी ने दिल्ली में 13 फ़रवरी 2020 को चलती-फिरती मधुवाटिका (Apiary on Wheels) को रवाना किया।
मधुमक्खियों को आसानी से पालने और उनके बक्सों को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए खादी ग्रामोद्योग (केवीआईसी) की यह अनोखी संकल्पना है।
केवीआईसी के शहद मिशन की 2017 में शुरूआत की गई थी और इसमें मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षण, मधुमक्खी पालने के बक्सों का वितरण किया जा रहा है और ग्रामीण शिक्षित लेकिन बेरोजगार युवकों को उनके दरवाजे पर मधुमक्खी पालने से जुड़े कार्यों के जरिये अतिरिक्त आमदनी कराने में मदद की जा रही है।
चलती-फिरती मधुवाटिका ( Apiary on Wheels)
- चलती-फिरती मधुवाटिका मधुमक्खी पालकों के सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है। इसे मधुमक्खी पालन में लगने वाली मेहनत और मधुमक्खियों की परवरिश लागत को कम करना तथा मधुमक्खी पालने के बक्सों में उनका पालन पोषण तथा भारत में जीवित मधुमक्खियों की कालोनी बनाना है।
- चलती-फिरती मधुवाटिका एक प्लेटफॉर्म है जो बिना किसी कठिनाई के मधुमक्खी पालने वाले 20 बक्सों को ले जा सकती है।
- चलती-फिरती मधुवाटिका के दोनों तरफ लगे दो विशाल पहिये और अलग दरवाजों के साथ 4 अलग कक्ष, जिनमें मधुमक्खी पालन के 5 बक्से हैं जिनमें से प्रत्येक जीवित मधुमक्खियों की कालोनियों के साथ छेड़छाड़ किए बिना प्लेटफॉर्म को यथावत रखने में मदद करता है।
- चलती-फिरती मधुवाटिका को एक सौर पैनल प्रणाली से भी जोड़ा गया है जो 35 डिग्री सेंटीग्रेड या उससे अधिक तापमान पहुंचने पर कक्ष के भीतर एक पंखे को स्वत: चालू कर देता है।
- इतना ही नहीं, चलती-फिरती मधुवाटिका में चीनी की ड्रिप भी है जो गर्मियों के मौसम में मधुमक्खियों तक भोजन पहुंचाने में मदद करती है। चलती-फिरती मधुवाटिका एक जुड़ी हुई वस्तु (अटैचमेंट) की तरह है जिसे किसी ट्रैक्टर या ट्रॉली के साथ आसानी से जोड़ा जा सकता है और किसी भी उपयुक्त स्थान तक खींचकर ले जाया जा सकता है। खासतौर से, गर्मियों में, मधुमक्खी पालक आमतौर पर उनके पालन के लिए देसी तरीका अपनाते हैं और इस प्रक्रिया में अनेक मधुमक्खियां मर जाती हैं।
- मधुमक्खियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने, सौर पैनल की मदद से कूलिंग और चीनी के ड्रिप की मदद से मधुमक्खियों के जीवन के लिए जोखिम नहीं रहेगा, उनके बक्सों और कॉलोनियों को होने वाला नुकसान रूक सकेगा गुणवत्तापूर्ण शहद उत्पादन में मदद मिलेगी।