केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने 16 फरवरी, 2022 को डॉ. अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में विमुक्त घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों के कल्याण के लिए डीएनटी के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजना ‘सीड’ (Scheme for Economic Empowerment of DNTs : SEED) का शुभारंभ किया।
- सभी संसाधनों से प्रति वर्ष 2.50 लाख रुपये या उससे कम आय वाले उन परिवारों के लिए एक योजना इन समुदायों को सशक्त बनाने के लिए तैयार की गई जो केन्द्र सरकार या राज्य सरकार की इसी प्रकार की किसी योजना से कोई लाभ नहीं उठा रहे है।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक की 5 वर्षों की अवधि में खर्च की जाने वाली 200 करोड़ रुपये के अनुमानित लागत के साथ
SEED योजना में निम्नलिखित चार घटक शामिल होंगे:
- डीएनटी/एनटी/एसएनटी समुदायों के सदस्यों के लिए मकान निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना
- डीएनटी/एनटी/एसएनटी उम्मीदवारों के लिए अच्छी गुणवत्ता की कोचिंग प्रदान करना
- डीएनटी/एनटी/एसएनटी समुदायों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराना
- डीएनटी/एनटी/एसएनटी समुदाय संस्थानों के छोटे समूहों का निर्माण और उन्हें मजबूत बनाने के लिए समुदाय स्तर पर आजीविका पहल को सुगम बनाना
सरकारी पहलें
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने फरवरी, 2014 में तीन वर्ष की अवधि के लिए विमुक्त, घुमंतू और अर्ध घुमंतू जनजातियों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग (National Commission for De-Notified, Nomadic and Semi Nomadic Tribes) के गठन का निर्णय लिया था। यह राष्ट्रीय आयोग श्री भीकू रामजी इदाते की अध्यक्षता में गठित किया गया था।
- राष्ट्रीय आयोग की सिफारिशों के आधार पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समुदायों के लिए वर्ष 2019 में विकास और कल्याण बोर्ड का गठन किया है।
विमुक्त (डी-नोटिफाइड), घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियां
- विमुक्त (डी-नोटिफाइड), घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियां (De-notified, Nomadic and Semi Nomadic Communities) सबसे अधिक उपेक्षित, हाशिए पर और आर्थिक तथा सामाजिक रूप से वंचित समुदाय हैं।
- इनमें से अधिकांश पीढ़ियों से निराश्रित जीवन जी रहे हैं और अभी भी अनिश्चित और अंधकारमय भविष्य के साथ ऐसा ही कर रहे हैं।
- विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियां किसी तरह हमारे विकासात्मक ढांचे के ध्यान से बच गईं है जिस कारण ये जनजातियां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की तरह सहायता प्राप्त करने से वंचित रह गई हैं।