झारखंड विधानसभा ने 11 नवंबर 2020 को जनजातियों के लिए एक अलग संहिता के बारे में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया।
- पारित प्रस्ताव में जनगणना रजिस्टर में शामिल करने के लिए अलग से आदिवासी/सरना धार्मिक संहिता’ (Sarna Code) बनाये जाने की मांग की गई है।
- राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मुताबिक धार्मिक संहिता से जनजातीय समुदायों की सही संख्या मालूम होगी और इससे दस्तावेज़ तैयार करने में मदद मिलेगी। उनका कहना था कि जनजातीय भाषाओं, संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करने में इससे मदद मिलेगी और वे अपने संवैधानिक अधिकार प्राप्त कर सकेंगे।
- ‘सरना’ आदिवासी समुदाय के धर्म का नाम है जिसमें प्रकृति की उपासना की जाती है। आदिवासी बहुल सूबा झारखंड में समुदाय के लोग जनगणना में सरना कोड की मांग काफी समय से करते रहे हैं।
- इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक जनगणना में जनजातियों की संख्या घटने से संबंधित चिंताओं का समाधान हो सकेगा। 1931 में यह 38 दशमलव शून्य तीन प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 26 दशमलव शून्य दो प्रतिशत हो गई। बाद की जनगणनाओं में अन्य समुदायों की तुलना में जनजातियों की वृद्धि दर और कम होती गई।
- जनगणना में आदिवासी सरना धर्म कोड के लिए अंक क्रमांक सात की मांग का प्रस्ताव भेजा जाएगा।