जर्मन आम चुनाव 2021-एसपीडी की जीत

जर्मनी में 27 सितंबर, 2021 को हुए राष्ट्रीय चुनाव में ओलाफ़ स्कोल्ज़ की सोशल डेमोक्रेट (SPD) पार्टी प्रथम स्थान पर आयी है । एसपीडी ग्रीन्स और लिबरल फ्री डेमोक्रेट्स ( FDP) के साथ गठबंधन में 2005 के बाद पहली बार सरकार का नेतृत्व करने की उम्मीद कर रही है ।

  • जर्मनी की सबसे पुरानी पार्टी, एसपीडी ने 25.7 प्रतिशत वोट हासिल किया, जो 2017 के संघीय चुनाव से पांच प्रतिशत अंक अधिक है, सुश्री एंजेला मर्केल के क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) / सीएसयू रूढ़िवादी ब्लॉक 24.1 प्रतिशत प्राप्त की। ग्रीन्स को 14.8 फीसदी मत मिले और एफडीपी ने 11.5 फीसदी जीत हासिल की।
  • मर्केल सीडीयू की तीसरी ऐसी नेता हैं जिनका चांसलर के रूप में असाधारण रूप से लंबा कार्यकाल रहा है। अन्य दो नेता डॉ कोनराड एडेनॉयर (1949-63) थे, जिन्होंने पश्चिम जर्मनी की नींव रखी, और डॉ हेल्मुट कोहल (1982-98), जिन्हें एकीकरण का चांसलर कहा जाता था।

दो ट्रांसजेंडर महिलाओं ने जीते चुनाव

  • जर्मनी की ग्रीन्स पार्टी की दो ट्रांसजेंडर महिलाओं ने संसदीय चुनावों में जीत हासिल की हैं। वो दोनों देश के इतिहास में पहली ट्रांसजेंडर महिला सांसद होंगी। टेस्सा गैंसरर और नाइके स्लाविक दोनों ग्रीन्स पार्टी की सदस्य हैं।

जर्मनी में कैसे होते हैं संसदीय चुनाव?

  • जर्मन संसद के निचले सदन, जिसे बुंडेसटाग कहा जाता है, में कुल 598 सीटें हैं, जिनमें 299 चुनाव क्षेत्रों से प्रत्यक्ष तौर पर निर्वाचित होकर आते हैं। चुनाव में प्रत्येक मतदाता दो वोट डालता है: पहला वोट पसंदीदा स्थानीय उम्मीदवार को जाता है जबकि दूसरा वोट किसी राजनीतिक दल को दिया जाता है।
  • बहुत से लोगों अपने दोनों वोट दो अलग अलग दलों को भी देते हैं। मतलब यह कि हो सकता है कि किसी मतदाता को स्थानीय स्तर पर किसी और पार्टी का उम्मीदवार पसंद हो और राष्ट्रीय स्तर पर किसी दूसरी पार्टी की नीतियां अच्छी लगती हों।
  • संसद में किसी दल को कितनी सीटें मिलेंगी , यह मतदाताओं के दूसरे वोट पर निर्भर करता है। चुनाव में पांच प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने वाले राजनीतिक दलों को उनके वोट के अनुपात में संसद में सीटें मिलती हैं।
  • यदि कोई पार्टी उसे मिलने वाले वोटों की तुलना में ज्यादा सीटें सीधे जीत जाती है तो वह उन सीटों को रख सकती है लेकिन दूसरी पार्टियों को उसी अनुपात में अतिरिक्त सीटें मिल जाती है। इसे ओवरहैंग मैंडेट कहते हैं जिसकी वजह से संसद की सीटें बढ़ती घटती रहती है। इस बार की संसद लोकतांत्रिक जर्मनी के इतिहास सबसे बड़ी संसद होगी।

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