एक महत्वपूर्ण घोषणा में, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा पर यूनेस्को के 2003 के कन्वेंशन की अंतर सरकारी समिति ने फ्रांस के पेरिस में आयोजित 16 वें सत्र में ‘कोलकाता में दुर्गा पूजा’ को अपनी ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ की प्रतिनिधि सूची (Representative List of Intangible Cultural Heritage of Humanity) में शामिल किया है।
- दुर्गा पूजा न केवल स्त्री देवत्व का उत्सव है, बल्कि नृत्य, संगीत, शिल्प, अनुष्ठानों, प्रथाओं, पाक परंपराओं और सांस्कृतिक पहलुओं की एक उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है। यह त्योहार जाति, पंथ और आर्थिक वर्गों की सीमाओं से परे होकर लोगों को एक साथ जोड़ता है।
- कोलकाता की दुर्गा पूजा को शामिल होने के बाद, भारत की अब 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत मानवता के आईसीएच की प्रतिष्ठित यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में शामिल हो गए हैं।
- हाल के वर्षों में, जिन अमूर्त सांस्कृतिक विरासतों को शामिल किया गया है, उनमें कुंभ मेला (2017 में ), योग ( 2016 में ) शामिल हैं।
- भारत 2003 के यूनेस्को कन्वेंशन का एक हस्ताक्षरकर्ता है, जिसका उद्देश्य परंपराओं और सजीव अभिव्यक्ति के साथ-साथ अमूर्त विरासत की रक्षा करना है।
यूनेस्को की सूची में भारत में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची
- वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा: 2008
- रामलीला- 2008,
- कुटियाट्टम,
- संस्कृत रंगमंच: 2008,
- रम्माण , गढ़वाल हिमालय का धार्मिक उत्सव और पारम्परिक थिएटर: 2009,
- मुदियेट्टू- पारम्परिक और नृत्य नाटक केरल: 2010,
- राजस्थान के कालबेलिया लोक गीत और नृत्य: 2010,
- छऊ नृत्य: 2010,
- लद्दाख के बौद्ध जाप: 2012,
- संकीर्तन-मणिपुर का अनुष्ठान गायन: 2013,
- ठठेरों के बीच बर्तन बनाने का पारंपरिक पीतल और तांबे का शिल्प-जंडियाला गुरु, पंजाब: 2014,
- योग: 2016,
- नवरोज: 2016,
- कुंभ मेला: 2017,
- कोलकाता में दुर्गा पूजा-2021