भारत के चार वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक गोवा में पश्चिमी घाट पर वैज्ञानिकों ने भारतीय मुरैनग्रास (Indian Murain grasses: Genus Ischaemum) की एक नई प्रजाति की पहचान की है।
- इसे पारिस्थितिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है मसलन चारा आदि।
- इन प्रजातियों ने जटिल परिस्थितियों, कम पोषक तत्व की उपलब्धता, और हर मानसून में खिलने के लिए अनुकूलित किया है।
- वैश्विक स्तर पर 85 प्रजातियां इस्चेमम से जानी जाती हैं, जिनमें से 61 प्रजातियां विशेष रूप से भारत में पाई जाती हैं। पश्चिमी घाट में जीनस की उच्चतम सांद्रता वाली 40 प्रजातियां हैं।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त संस्थान, पुणे स्थित अगरकरअनुसंधान संस्थान (एआरआई), पिछले कुछ दशकों से पश्चिमी घाट की जैव विविधता की खोज कर रहा है।
- गोवा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रो. एम. के. जनार्थनम के सम्मान में नई प्रजाति का नाम इस्किमम जंतरमनामी (Ischaemum janarthanamiiin) रखा गया है, जिन्हें भारतीय घास वर्गीकरण में उनके योगदान के लिए जाना जाता है.
- गोवा के भगवान महावीर नेशनल पार्क के बाहरी इलाके में इस्किमम जंतरमनामी कम ऊंचाई वाले पठारों पर उगती है। वनस्पति ने चरम जलवायु परिस्थितियों में खुद को बचाए रखने को लेकर खुद को तैयार किया है। इनके बारे में अध्ययन से पता चाल कि इन प्रजातियों ने कठोर परिस्थितियों से बचने और हर मानसून में खिलने के लिए अनुकूलित कर लिया है।