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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (Consumer Protection Act,2019 ) 20 जुलाई 2020 से लागू हो गया। यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का स्थान लिया है।
मुख्य विशेषताएं
उपभोक्ताओं को सशक्त बनायेगा: यह नया अधिनियम उपभोक्ताओं को सशक्त बनायेगा और इसके विभिन्न अधिसूचित नियमों व उपभोक्ता संरक्षण परिषदों, उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों, मध्यस्थता, उत्पाद दायित्व तथा मिलावटी/ नकली सामान वाले उत्पादों के निर्माण या बिक्री के लिए सजा जैसे प्रावधानों के माध्यम से उनके अधिकारों की रक्षा करने में मदद करेगा।
केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए): इस अधिनियम में उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा के लिए केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority: CCPA) की स्थापना करना शामिल है।
सीसीपीए को उपभोक्ता अधिकारों और संस्थानों की शिकायतों/अभियोजन के उल्लंघन की जांच करने, असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस लेने का आदेश देने, अनुचित व्यापार चलनों और भ्रामक विज्ञापनों को रोकने का आदेश देने, निर्माताओं/समर्थनकर्ताओं/भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशकों पर जुर्माना लगाने का अधिकार होगा।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स: इस अधिनियम में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के अनुचित व्यापार चलन को रोकने के लिए नियम भी शामिल किए जायेंगे। इस अधिनियम के तहत प्रत्येक ई-कॉमर्स इकाई को अपने मूल देश समेत रिटर्न, रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी और गांरटी, डिलीवरी एवं शिपमेंट, भुगतान के तरीके, शिकायत निवारण तंत्र, भुगतान के तरीके, भुगतान के तरीकों की सुरक्षा, शुल्क वापसी संबंधित विकल्प आदि के बारे में सूचना देना अनिवार्य है जोकि उपभोक्ता को अपने प्लेटफॉर्म पर खरीददारी करने से पहले उपयुक्त निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए जरूरी है।
48 घंटों के भीतर उपभोक्ता को शिकायत: इस अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को 48 घंटों के भीतर उपभोक्ता को शिकायत प्राप्ति की सूचना देनी होगी और शिकायत प्राप्ति की तारीख से एक महीने के भीतर उसका निपटारा करना होगा।
उत्पाद दायित्व की अवधारणा: नया अधिनियम उत्पाद दायित्व की अवधारणा (concept of product liability) को प्रस्तुत करता है और मुआवजे के किसी भी दावे के लिए उत्पाद निर्माता, उत्पाद सेवा प्रदाता और उत्पाद विक्रेता को इसके दायरे में लाता है।
प्रक्रिया को सरल बनाने के प्रावधान: उपभोक्ता आयोगों में उपभोक्ता विवाद अधिनिर्णय प्रक्रिया को सरल बनाने के प्रावधान इस नए अधिनियम में हैं। इनमें कई बातें शामिल हैं जैसे कि – राज्य और जिला आयोगों का सशक्तिकरण ताकि वे अपने स्वयं के आदेशों की समीक्षा कर सकें, उपभोक्ता को इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायत दर्ज करने और उन उपभोक्ता आयोगों में शिकायत दर्ज करने में सक्षम करना जिनके अधिकार क्षेत्र में व्यक्ति के आवास का स्थान आता है, सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और अगर 21 दिनों की निर्दिष्ट अवधि के भीतर स्वीकार्यता का सवाल तय नहीं हो पाए तो शिकायतों की स्वीकार्यता को मान लिया जायेगा।
वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र: नए अधिनियम में मध्यस्थता का एक वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र (Alternate Dispute Resolution mechanism of Mediation) प्रदान किया गया है। ये इस अधिनिर्णय प्रक्रिया को सरल करेगा। जहां भी शुरुआती निपटान की गुंजाइश मौजूद हो और सभी पक्ष सहमत हों, वहां मध्यस्थता के लिए उपभोक्ता आयोग द्वारा एक शिकायत उल्लिखित की जाएगी। उपभोक्ता आयोगों के तत्वावधान में स्थापित किए जाने वाले मध्यस्थता प्रकोष्ठों में मध्यस्थता आयोजित की जाएगी। मध्यस्थता के माध्यम से होने वाले निपटान के खिलाफ कोई अपील नहीं होगी।
5 लाख रुपये तक का मामला दर्ज करने के लिए कोई शुल्क नहीं: उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के नियमों के अनुसार 5 लाख रुपये तक का मामला दर्ज करने के लिए कोई शुल्क नहीं लगेगा। इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायतें दर्ज करने के लिए भी इसमें प्रावधान है, न पहचाने जाने वाले उपभोक्ताओं की देय राशि को उपभोक्ता कल्याण कोष (सीडब्ल्यूएफ) में जमा किया जाएगा। नौकरियों, निपटान, लंबित मामलों और अन्य मसलों पर राज्य आयोग हर तिमाही केंद्र सरकार को जानकारी देंगे।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद के गठन के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद (Central Consumer Protection Council) के नियम भी प्रदान किए गए हैं। ये परिषद उपभोक्ता मुद्दों पर एक सलाहकार निकाय है, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री द्वारा की जाती है और उपाध्यक्ष के रूप में संबंधित राज्य मंत्री और विभिन्न क्षेत्रों से 34 अन्य सदस्य होते हैं। तीन वर्ष के कार्यकाल वाली इस परिषद के पास उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और एनईआर, प्रत्येक क्षेत्र से दो राज्यों के उपभोक्ता मामलों के प्रभारी मंत्री होंगे। विशिष्ट कार्यों के लिए इन सदस्यों के बीच कार्य समूह का भी प्रावधान है।
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