विश्व आद्रभूमि दिवस का आयोजन

  • भारत सहित पूरे विश्व में 2 फरवरी, 2018 को ‘विश्व आद्रभूमि दिवस’ (World Wetlands Day) का आयोजन किया गया।
    -पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने असम सरकार के वन विभाग के साथ सहयोग से 2 फरवरी, 2018 को गुवाहाटी में रामसर स्थल दीपोर बील में ‘राष्ट्रीय स्तरीय विश्व आद्र भूमि दिवस 2018’ का आयोजन किया।
  • इस वर्ष इस दिवस की थीम है। ‘सतत शहरी भविष्य के लिए आद्र भूमि’ है। शहरी आद्र भूमि शहरों और कस्बों को रहने लायक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और आद्र भूमि की भूमिका भू-जल को रिचार्ज करने, बाढ़ को कम करने, कचरे जल को साफ करने तथा आय के अवसर बढ़ाने में महत्वपूर्ण है।
  • पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत नई दिल्ली के राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय द्वारा विश्व आद्र भूमि दिवस पर पोस्टरों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
  • प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को ‘विश्व आद्र भूमि दिवस’ मनाया जाता है। इसी दिन ‘आद्र भूमि रामसर समझौता’ को अपनाया गया था।

आद्रभूमि के लाभ

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार आद्र भूमि शहरों और मानवता के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आद्र भूमि पेय जल का स्रोत है, बाढ़ में कमी लाती है, आद्र भूमि के वनस्पतिकरण से घरेलू और औद्योगिक कचरे की सफाई होती है और इससे जल की गुणवत्ता में सुधार होता है। आद्र भूमि को बचाना मानवता को बचाना है।

क्या है आद्रभूमि

  • आद्रभूमि वह स्थल या क्षेत्र है जो खारा या स्वच्छ जल से आच्छादित होता है। इसमें मार्श, तालाब, झील या समुद्र का किनारा, नदी के मुहाने पर स्थित डेल्टा, लगातार बाढ़ से ग्रस्त निम्न भूमि शामिल होते हैं।

रामसर अभिसमय

  • आद्र भूमि पर समझौते को ‘रामसर समझौता’ कहा जाता है। यह अंतर सरकारी संधि है, जो आद्र भूमि के संरक्षण और उचित उपयोग तथा उनके संसाधनों के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढांचा प्रदान करती है।
  • यह समझौता 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया।
  • भारत 1982 से इस समझैते का पक्षकार है और आद्र भूमि के उचित इस्तेमाल में रामसर दृष्टिकोण के प्रति संकल्पबद्ध है।
  • पर्यावण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय आद्र भूमि संरक्षण के लिए नोडल मंत्रलय है। यह 1985 से रामसर स्घ्थलों सहित आद्र भूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रबंधनकारी योजना के डिजाइन और कार्यान्वन में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को समर्थन दे रहा है। 140 से अधिक आद्र भूमियों के लिए प्रबंध कार्रवाई योजना लागू करने के लिए राज्य सरकारों को तकनीकी सहायता प्रदान की गई है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार 400 हेक्टेयर से अधिक भूमि यानी भारत की 12 प्रतिशत भूमि बाढ़ और नदी के कटाव की संभावना से घिरी हुई है। भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र में आद्र भूमि 4.7 प्रतिशत है।



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