कृषि को व्यावहारिक और लाभकारी बनाने के लिए 12 पहलें

समाचारः उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने 19 जनवरी, 2018 को बेंग्लुरु में सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन संस्थान में 14वां डॉ. वी. के. आर. वी. स्मृति व्याख्यान देते हुए उद्घाटित किया कि यद्यपि कृषि अधिकतर भारतीयों की मुख्य आजीविका है, परंतु किसानों को यह व्यवसाय आकर्षक नहीं लगता क्योंकि इसमें आय तथा उत्पादकता कम है। उन्होंने कहा कि तीव्र, समावेशी और सतत विकास की रणनीतियों को किसानों की समस्याओं को हल करना होगा।

कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए 12 पहलें: किसानों की उत्पादकता और उनके लाभार्जन के लिए उपराष्ट्रपति ने 12 पहलों को रेखांकित किया:

  1. पहली, बेहतर बीजों का इस्तेमाल ताकि उत्पादकता में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हो।
  2. दूसरी, कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए उर्वरकों का संतुलित इस्तेमाल जरूरी।
  3. तीसरी, सीमान्त और छोटे किसानों द्वारा नवाचार अपनाने की दिशा में सामयिक संस्थागत ऋण मुख्य भूमिका निभाता है।
  4. चौथी, दुग्ध पालन, मछली पालन और मुर्गी पालन जैसी संबंधित गतिविधियों के साथ खेती को जोड़ना और विस्तार करना। इस कदम से किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
  5. पांचवी, भारत में खेती के यंत्रीकरण को बढ़ाना होगा।
  6. छठवीं, कृषि गतिविधियों को तेज करने और कृषि को बागवानी से जोड़ने तथा पहाड़ में कृषि के यंत्रीकरण से किसानों की आय बढ़ सकती है।
  7. सातवीं, कृषि आधारित उद्योगों के प्रोत्साहन के मद्देनजर ईको-प्रणाली को मजबूत करना होगा।
  8. आठवीं, पानी के इस्तेमाल के प्रति बेहतर समझ बनानी होगी।
  9. नौवीं, किसानों को उपभोक्ता मूल्य के बड़े हिस्से को समझना होगा।
  10. दसवीं, हमें भू-नीति में मूलभूत सुधारों पर गौर करना होगा।
  11. ग्यारहवीं, हमें जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर कृषि गतिविधियों को विकसित करने की जरूरत है।
  12. बारहवीं, ज्ञान को साझा करने की प्रक्रियाओं को दुरुस्त करना होगा।

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