- इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की 14 जनवरी, 2018 को भारत यात्रा के उपलक्ष्य में नई दिल्ली के प्रख्यात तीन मूर्ति चौक का नाम इजरायल के ऐतिहासिक ‘हाइफा’ शहर के नाम पर रख दिया गया।
- अब तीन मूर्ति युद्ध स्मारक चौक, ‘तीन मूर्ति हाइफा चौक’ के नाम से जाना जाएगा।
- एनडीएमसी के अनुसार भारत एवं इजरायल के नागरिकों के बीच मित्रता के प्रतीक के रूप में हाइफा युद्ध की 100वीं वर्षगांठ पर तीन मूर्ति चौक का नाम हाफिया चौक किया गया है। पहले तीन मूर्ति मार्ग का नाम बदलने का भी प्रस्ताव था परंतु उसके नाम में परिवर्तन नहीं किया गया है।
हाइफा शहर एवं हाइफा युद्ध के बारे में - दरअसल प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शैरोन युद्ध के अंत में 23 सितंबर, 1918 को हाइफा युद्ध लड़ा गया था। इजरायल के हाइफा शहर को तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य से मुक्त कराने के लिए युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में 15वीं इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड के भारतीय सैनिकों ने भी भाग लिया था।
- इस युद्ध में महज 400 भारतीय सैनिकों ने ऑटोमन साम्राज्य के 1500 सैनिकों को परास्त कर दिया था। मारे गये भारतीय सैनिकों को इजरायल के विभिन्न शहरों में दफनाया गया।
- भारत के लिए यह युद्ध इसलिए महत्वपूर्ण है कि इन भारतीय सैनिकों का कमांड भारतीय अधिकारियों के हाथ में था, जो औपनिवेशिक शासन में दुर्लभ था। इसका नेतृत्व जोधपुर लांसर्स, हैदराबाद लांसर्स व मैसूर लांसर्स ने किया था।
- हाइफा, जेरूसलम एवं तेल अवीव के पश्चात आबादी के दृष्टिकोण से इजरायल का तीसरा सबसे बड़ा शहर है।
- इसी शहर में यूनेस्को विश्व धरोहर बहाई वर्ल्ड सेंटर भी है।
तीन मूर्ति चौक - तीन मूर्ति चौक दरअसल एक युद्ध स्मारक है जहां 1918 के हाइफा युद्ध में भाग लिये तीन देशी राज्यों की सेनाओं जोधपुर लांसर्स, हैदराबाद लांसर्स व मैसूर लांसर्स के प्रतिनिधित्व के रूप में तीन मूर्तियां स्थापित की गई हैं।
- तीन मूर्ति चौक का नामकरण तीन घुड़सवार रेजिमेंट के नाम पर रखा गया था।
- इसी मार्ग पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू का आवास था जो तीन मूर्ति भवन के नामा से जाना जाता है। आज वहां संग्रहालय बना हुआ है। इसका डिजाइन कनाट प्लेस के वास्तुकार रॉबर्ट टोर रसेल ने तैयार किया थाा।