सर्वोच्च न्यायालय ने 29 जनवरी, 2018 को केंद्र सरकार उस योजना को लागू करने की अनुमति दे दी जिसके तहत पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की प्रक्रिया को पूरी रोक लगाने की व्यवस्था है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा पराली जलाने को रोकने के लिए जो अवधि निर्धारित की गई है केंद्र सरकार, उसका अनुपालन करे।
-दरअसल एक वकील आर. के.कपूर ने 13 नवंबर, 2017 को सर्वोच्च न्यायालय में दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाने से संबंधित समस्या से निपटने हेतु त्वरित कार्रवाई करने का आदेश देने हेतु एक याचिका दायर किया था।
-इसी परिप्रक्ष्य में केंद्रीय कैबिनेट सचिवालय ने प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी 23 नवंबर, 2017 को गठित किया और इस कमेटी ने 18 दिसंबर, 2017 को अपनी रिपोर्ट सौप दी। इस कमेटी की रिपोर्ट पर विचार करने का जिम्मा सर्वोच्च न्यायालय ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) को सौपा। इसी के पश्चात सर्वोच्च न्यायालय ने 29 जनवरी, 2018 को अपना आदेश पारित किया।
योजना की विशेषताएं
तीन राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा तैयार योजना की प्रमुख विशेषता निम्नलिखित है_
1. धान की खूंटी को जलाने के बदले किसानों को उसके प्रबंधन के लिए मशीन खरीदने हेतु 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
2. सहाकरी संस्थाओं, कस्टम हायरिंग केंद्रोें, किसान हित समूहों या ग्राम पंचायतों को ऐसी मशीन खरीदने के लिए 75 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
3. उच्च स्तरीय कमेटी ने सितंबर 2018 तक मशीन खरीदने की तय सीमा निर्धारित की है।