प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 18 सितंबर 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
- वर्ष 1887 में निर्मली और भापतियाही (सरायगढ़) के बीच एक मीटर गेज लाइन शुरू की गई थी। लेकिन वर्ष 1934 में आई भयानक बाढ़ और भारत-नेपाल में आए भूकंप के चलते यह लाइन तबाह हो गई थी।
- कोसी नदी की प्रकृति के चलते लंबे समय तक इस रेल मार्ग को शुरू किए जाने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
- कोसी महा सेतु परियोजना के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने 2003-04 में मंजूरी दे दी थी।
- कोसी महासेतु की लंबाई 1.9 किलोमीटर है और इसके निर्माण में 516 करोड़ रूपये की लागत आई है।
- भारत-नेपाल सीमा के करीब होने के चलते इस पुल का रणनीतिक महत्व भी है। यह परियोजना कोविड महामारी के दौरान पूरी हुई जिसके निर्माण में घर वापसी करने वाले प्रवासी मजदूरों ने भी भाग लिया।
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