- उमाशंकर मिश्र (Twitter handle : @usm_1984)
अगरतला, 5 अक्तूबर : असम के हैलाकांदी जिले के दूरदराज के इलाके जानकी बाजार की रहने वाली सरूपा आज बहुत खुश है क्योंकि उसकी टीम को पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में आयोजित की गई साइ-कनेक्ट-2018 प्रतियोगिता के फाइनल में पहला स्थान मिला है। आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली सरूपा के पिता पेशे से किसान हैं, पर वह खुद एक वैज्ञानिक बनना चाहती है। सरूपा की तरह मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, असम, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश समेत आठ राज्यों के कुल 24 छात्र इस प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए त्रिपुरा की राजधानी अगरतला पहुंचे थे।
इस प्रतियोगिता में मिजोरम को दूसरा और त्रिपुरा को तीसरा स्थान मिला है। पिछले वर्ष प्रतियोगिता में पहला स्थान त्रिपुरा को मिला था, जबकि इस बार असम ने रोलिंग ट्रॉफी को अपने नाम कर लिया है। त्रिपुरा के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुदीप रॉय बर्मन ने अगरतला में आयोजित एक कार्यक्रम में साइ-कनेक्ट-2018 के विजेताओं को ट्रॉफी, प्रशस्ति पत्र और नकद ईनाम देकर सम्मानित किया है।
साइ-कनेक्ट पूर्वोत्तर के छात्रों को विज्ञान से जोड़ने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार द्वारा पिछले वर्ष शुरू की गई एक अनूठी पहल है। इसमें फिल्म स्क्रीनिंग, साइंस लेक्चर, वैज्ञानिकों से संवाद, लिखित परीक्षा, साइंस क्विज और साइंस ड्रामा जैसी कई विज्ञान आधारित गतिविधियां शामिल हैं। पूर्वोत्तर राज्यों की विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद और असम के सर्वशिक्षा अभियान के साथ यह आयोजन संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
इस बार त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में 3-5 अक्तूबर तक साइ-कनेक्ट प्रतियोगिता का प्री-फाइनल और फाइनल मुकाबला आयोजित किया गया था, जिसमें मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, असम, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश समेत आठ टीमें शामिल हुई थीं। नागालैंड, मेघालय और सिक्किम की टीमें प्री-फाइनल में ही बाहर हो गई थीं, जबकि बाकी पांच टीमों में कांटे का मुकाबला देखने को मिला।
फाइनल में पहुंचे इन छात्रों को पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में जिला स्तर पर आयोजित लिखित परीक्षा के आधार पर चुना गया है। यह परीक्षा विज्ञान आधारित फिल्मों और छात्रों के पाठ्यक्रम पर आधारित होती है। इस बार प्रतियोगिता में शामिल छात्रों को उनके स्कूलों में विज्ञान प्रसार द्वारा बनायी गई विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित 35 फिल्में दिखायी गई थीं और फिर उन्हीं में से प्रश्न पूछे गए।
एस.एन. बोस और जे.सी. बोस जैसे भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों की बायोग्राफी, ‘नेटवर्क थ्योरी’, ‘प्रोबेबिलिटी’, ‘कैल्कुलस’, ‘लार्ज हैल्ड्रोन कोलाइडर’ और ‘रिलेटीविटी’ इत्यादि इन फिल्मों के विषयों में शामिल रहे हैं। राज्यों की विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषदों ने अपने राज्य के स्कूलों से इस कार्यक्रम से जुड़ने के लिए पंजीकरण कराने को कहा था। इन पंजीकृत स्कूलों में विज्ञान प्रसार की फिल्मों की सीडी का सेट भेजा गया था, जिसे छात्रों को दिखाया गया। इसके साथ-साथ रसायन विज्ञान, जैव विविधता, भूकंप और जलवायु परिवर्तन जैसे विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों द्वारा प्रायोगिक प्रदर्शन भी किए गए।
त्रिपुरा के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुदीप रॉय बर्मन ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि “यह पहल दूरदराज के छात्रों को विज्ञान के करीब लाने में न केवल मददगार होगी, बल्कि इससे जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी विश्व की प्रमुख चुनौतियों के बारे में नई पीढ़ी में एक नई दृष्टि भी पैदा होगी।”
विज्ञान प्रसार से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिक कपिल त्रिपाठी ने बताया कि “साइ-कनेक्ट-2018 में आठ राज्यों के औसतन 150 स्कूलों के 9,000 छात्र पंजीकृत हुए थे। इस प्रतियोगिता में शामिल सभी राज्यों से परीक्षा और क्विज के आधार पर सर्वश्रेष्ठ 15 छात्रों को दूसरे चरण के लिए चुना गया था। इस परीक्षा में आठवीं और नौवीं कक्षा के छात्रों को शामिल किया गया है क्योंकि इसी दौर के छात्रों को आगे की पढ़ाई के लिए अपने विषय का चयन करते हैं। इनमें से प्रत्येक राज्य के तीन सदस्यों की टीम प्री-फाइनल और फाइनल के लिए अगरतला पहुंची थी। इस प्रतियोगिती के जरिये एक बड़ी सफलता यह मिली है कि विज्ञान को लोकप्रिय बनाने की इस मुहिम में स्कूल रिसोर्स सेंटर बनकर उभरें हैं। इसका लाभ भविष्य में भी छात्रों को मिलेगा। इस प्रतियोगिता को 11 एपिसोड में फिल्माया गया है, जिसे कुछ समय बाद दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाएगा।”
छात्रों से संवाद करने पहुंचे नवीकरणीय ऊर्जा विशेषज्ञ डॉ शांतिपदा गोन चौधरी ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “पूर्वोत्तर में इस तरह के विज्ञान संचार का खास महत्व है क्योंकि यहां छात्र दूरदराज के क्षेत्रों में रहते हैं। साइ-कनेक्ट एक राज्य के छात्रों को दूसरे राज्यों के छात्रों से संवाद का एक मंच मुहैया कराता है। यहां आकर छात्रों को पता चलता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किस तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे और उनसे कैसे जुड़ा जा सकता है। मैंने देखा कि यहां आकर छात्रों के बीच एक खास तरह का साइंस कल्चर विकसित हो रहा है। छात्रों की चर्चा के विषय यहां सामान्य से अलग हैं। यह कार्यक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्वोत्तर सवाल नहीं पूछता। इस मंच पर पूर्वोत्तर को छात्रों को सवाल पूछने का मौका मिल रहा है। मुझसे भी बहुत से छात्र खूब सवाल पूछ रहे थे। छात्रों की उत्सुकता उनके सवालों के रूप मे मुखरित हो रही है।”
साइ-कनेक्ट के संयोजक डॉ सचिन सी. नरवाड़िया ने बताया कि “ पिछले वर्ष 6000 छात्र प्रतियोगिता में शामिल हुए थे। इस बार छात्रों की संख्या और प्रतियोगियों का स्तर भी बढ़ा है। पूर्वोत्तर भारत प्रतिभा से भरा पड़ा है, जिसका अब तक सही ढंग से उपयोग नहीं हो सका है। इस पहल का मकसद उस प्रतिभा को उभारना और उसको प्रोत्साहित करना है। यही कारण है कि हम भविष्य में इस प्रतियोगिता के दायरे को बढ़ाना चाहते हैं ताकि अधिक छात्रों को इसमें शामिल होने का मौका मिल सके।” (इंडिया साइंस वायर)