विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारतीय दवा कंपनी ‘भारत बायोटेक’ द्वारा निर्मित ‘रोटावैक’ (Rotavac) टीका को वैश्विक स्तर पर उपयोग की अनुमति दे दी है।
- रोटावैक को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘प्री-क्वालीफिकेशन’ (pre-qualification) नामक मंजूरी दी है। इस मंजूरी का मतलब यह है कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों में बेची जा सकती है।
- हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इससे पहले भी भारत में निर्मित दवाओं को प्री-क्वालीफिकेशन मंजूरी दी है परंतु ऐसा पहली बार है जब पूरी तरह से स्थानीय तौर विकसित किसी दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन को यह मंजूरी मिली है।
- विगत एक माह में ऐसा दूसरी बार है जब भारत बायोटेक द्वारा उत्पादित दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिली है। इससे पहले उसके द्वारा निर्मित टायफायड टीका ‘टाइपपबार टीसीवी’ को वैश्विक स्तर पर उपयोग की अनुमति मिली थी।
क्या है रोटावैक टीका? - रोटावैक टीका का विकास 2015 में भारत बायोटेक द्वारा किया गया।
- इसे वर्ष 2016 में भारत के सार्वभौमिक प्रतिरक्षीकरण कार्यक्रम (Universal Immunisation Programme: UPI) का हिस्सा भी बनाया गया था।
- वैसे इस टीका के निर्माण के लिए 1986 में दिल्ली स्थित एम्स में रोटावायरस से ही उसके हिस्से को अलग किया गया था।
- यह टीका बच्चों को हैजा के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करती है।
क्या है रोटावायरस? - रोटावायरस वायरस संक्रमित रोग है जो प्रदूषित जल व भोजन से फैलता है।
- यह नवजात बच्चों एवं कम उम्र के बच्चों में हैजा से होने वाली मौत का प्रमुख कारण है।