केद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने 30 जनवरी, 2018 को सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज टेक्नालॉजी (CIFT) कोच्चि द्वारा विकसित मछलियों में रासायनिक मिलावट या छिड़काव का पता लगाने वाली किट, ‘त्वरित परीक्षण किट’ (Rapid Detection Kits) को लांच किया।
-ताजी मछलियों को जल्दी खराब होने से रोकने के लिए फॉर्मेल्डहाइडऔर बर्फ को पिघलने से रोकने के लिए अमोनिया का इस्तेमाल किया जाता है।
अमोनिया तथा फॉर्मेल्डहाइड खतरनाक हैंः फॉर्मेल्डहाइड एक कैंसर उत्प्रेरित करने वाला रसायन है, इसलिए मत्स्य परिरक्षण में इसका उपयोग चिंतनीय है। अतः मछलियों में अमोनिया तथा फॉर्मेल्डहाइड का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तथा जिसे रोकना आवश्यक है। आलोच्य जांच किट ताजी मछलियों में उपर्युक्त दोनों रसायनों की उपस्थिति का पता लगाता है। अमोनिया तथा फॉर्मेल्डहाइड के सेवन से मनुष्यों में स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं जैसे, पेट दर्द, वमन, बेहोशी इत्यादि उत्पन्न हो जाती हैं। कई बार तो व्यत्तिफ़ की मृत्यु भी हो सकती है।
मछली का व्यापार भी होता है प्रभावितः मछली का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। मछलियां जल्दी ऽराब हो जाती हैं इसलिए उनका लंबे समय तक भंडारण नहीं किया जा सकता है। भारतीय घरेलु मत्स्य बाजार में फॉर्मेल्डहाइड तथा अमोनिया युक्त मछलियों के व्रिकय होने की सूचनाएं आए दिन प्राप्त प्राप्त होती रही हैं, विशेषतः उन बाजारों में जो उत्पादन केंद्रों से दूरदराज स्थानों में स्थित हैं। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विनियमों के अनुसार मत्स्य उत्पादों को सिर्फ बर्फ के माध्यम से संरक्षित किया जाना चाहिए तथा मत्स्य परिरक्षण के लिए किसी भी रसायन का उपयोग पूर्णतः वर्जित है। उपर्युक्त दोनों रासायनों के प्रयोग से भारतीय मछलियों को निर्यात प्रतिबंध का सामना करना पड़ता है।
किट का प्रयोग कैसेः इन किटों का प्रयोग उपभोक्ता सरल तरीकों से कर सकता है। किट के भीतर कागज की पट्टियां, रसायनिक द्रव्य तथा परिणाम जानने के लिए एक मानक चार्ट दिया गया है।