द लांसेट जर्नल के अनुसार, बुरकीना फासो में हो रहे मलेरिया वैक्सीन के परीक्षण के नतीजों ने वैज्ञानिक समुदाय को उत्साहित कर दिया है।
- परीक्षण के नतीजों में बताया गया है कि 12 महीनों के दौरान R21/मैट्रिक्स-M (R21/Matrix M) वैक्सीन की सफलता दर 77% रही है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन 75 प्रतिशत को वैक्सीन की न्यूनतम सफलता दर मानता है। यह पहली मलेरिया वैक्सीन है जो न्यूनतम सफलता दर को पार करने में कामयाब रही है।
- द लांसेट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार परीक्षण में 5 से 17 महीने तक के 450 बच्चे शामिल थे। इन्हें तीन समूहों में बांटा गया था। प्रथम दो समूहों को R21/मैट्रिक्स-M वैक्सीन की कम या ज्यादा मात्रा दी गई जबकि तीसरे समूह को रेबीज की वैक्सीन दी गई। जिस समूह को कम मात्रा में मैट्रिक्स-एम दी गई थी, उसकी सफलता दर 71 प्रतिशत रही और कोई गंभीर दुष्प्रभाव सामने नहीं आये।
- वैसे अब तक एक ही वैक्सीन RTS,S ने मलेरिया के खिलाफ कुछ प्रभावशाली नतीजे दिए हैं। अफ्रीका में 5 से 17 महीने के ऐसे बच्चे जिन्हें RTS,S की चार खुराक मिलीं, उनमें 39 प्रतिशत प्रतिशत चार साल के दौरान मलेरिया से बचे रहे। इसलिए इसकी सफलता दर उतनी प्रभावशाली नहीं है।
- उल्लेखनीय है कि मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मादा ऐनाफेलीज मच्छरों के मच्छरों के काटने से होती है। पांच ऐसे पैरासाइट हैं जो इंसानों में मलेरिया पैदा करते हैं। इनमें से दो– पी फैल्सिपैरम और पी वाइवैक्स सबसे खतरनाक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया में मलेरिया से होने वाली कुल मौतों के 67 फीसदी पांच साल से कम उम्र के बच्चे होते हैं।