पवित्र शहर मथुरा व वाराणसी उत्तर प्रदेश के पहले शहर होंगे जहां एफएसएसएआई (Food Safety and Standards Authority of India:FSSAI) की ‘प्रोजेक्ट भोग’ (Project BHOG) शुरू की जाएगी। यह परियोजना पहले ही महाराष्ट्र, गुजरात व तमिलनाडु में वर्ष 2017 में आरंभ हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में इसके अप्रैल 2018 में आरंभ होने की संभावना है।
क्या है प्रोजेक्ट भोग?
- ‘प्रोजेक्ट भोग’ ब्लिसफुल हाइजेनिक ऑफरिंग टू गॉड’ (Blissful Hygienic Offering to God-BHOG) का संक्षिप्त नाम है।
- यह भारत के खाद्य एवं सुरक्षा प्राधिकरण’ यानी एफएसएसएआई की पहल है। प्राधिकरण द्वारा ‘सुरक्षित एवं पोषक खाद्य’ (SNF: Safe & Nutritious Food)) की दिशा में किये जा रहे प्रयासों में से एक प्रयास प्रोजेक्ट भोग भी है।
- यह परियोजना यह सुनिश्चित करने के लिए आरंभ की गई कि धार्मिक स्थलों पर दर्शन करने जा रहे श्रद्धालुओं को सुरक्षित रसद या भोजन मिले।
- ज्ञातव्य है कि पूरे देश में प्रतिवर्ष 30 करोड़ लोग विभिन्न्न पवित्र स्थलों के दर्शनाथ जाते हैं और भगवान के प्रसाद के रूप में ‘रसद’ प्राप्त करते हैं। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि ये प्रसाद हाइजेनिक हो।
- एफएसएसएआई ने यह परियोजना एएफएसटीआई (Association of Food Scientists & Technologist India: AFSTI) के सहयोग से आरंभ किया है।
- इस परियोजना के तहत प्रसाद वितरित करने वाले धार्मिक स्थलों एवं उसके आसपास के वेंडर्स को स्वच्छ व सुपाच्य प्रसाद का लाइसेंस लेना होगा और एफएसएसएआई के स्वच्छता व सुपाच्य मानकों का पालन करना होगा।