केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए तीन योजनाएं पीएलआई (PLI), एसपीईसीएस (SPECS) एवं ईएमसी 2.0 (EMC 2.0) की घोषणा 2 जून, 2020 को की।
एक मजबूत विनिर्माण तंत्र, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक परिसंपत्ति होगा, का निर्माण करने के उद्वेश्य से पूरी मूल्य श्रृंखला में एक मजबूत तंत्र का विकास करने और इसे वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ समेकित करने की योजना सरकार बना रही है।
इन तीन योजनाओं, जिनके नाम हैं- (1) बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआई), (2) इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट एवं सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण के संवर्धन के लिए स्कीम (एसपीईसीएस) तथा (3) संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) मजबूत विनिर्माण तंत्र स्कीम का सार तत्व है।
पीएलआई ( Production Linked Incentive Scheme: PLI)
पीएलआई स्कीम भारत में विनिर्मित एवं टारगेट सेगमेंटों के तहत कवर्ड वस्तुओं की संवृद्धि बिक्री (आधार वर्ष पर) पर पात्र कंपनियों को आधार वर्ष के बाद के पांच वर्षों की अवधि के लिए 4 प्रतिशत से 6 प्रतिशत का प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
एसपीईसीएस (Scheme for Promotion of Manufacturing of Electronic Components and Semiconductors: SPECS)
एसपीईसीएस इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं अर्थात इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट, सेमीकंडक्टर/डिस्प्ले फैब्रीकेशन इकाइयों, असेंबली, टेस्ट, मार्किंग एवं पैकेजिंग (एटीएमपी) इकाइयों, स्पेशलाइज्ड सब-असेंबलीज एवं उपरोक्त वस्तुओं के निर्माण के लिए पूंजीगत वस्तुओं की चिन्हित सूची के लिए पूंजीगत व्यय पर 25 प्रतिशत का वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराएगी।
ईएमसी 2.0 ( Modified Electronics Manufacturing Clusters : EMC 2.0)
ईएमसी प्रमुख वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माताओं को उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ साथ आकर्षित करने के लिए 2.0 रेडी बिल्ट फैक्टरी (आरबीएफ) शेड्स/ प्लग एंड प्ले सुविधाओं सहित सामान्य फैसिलिटीज एवं सुविधाओं के साथ साथ विश्व स्तरीय अवसंरचना के सृजन के लिए सहायता उपलब्ध कराएगी।
मुख्य तथ्य
- इन तीनों स्कीमों के लिए लगभग 50,000 करोड़ रुपये (लगभग 7 बिलियन डालर) की आवश्यकता है।
- ये योजनाएं घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए कमी को खत्म करने में मदद करेगी और इस प्रकार, देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण तंत्र को मजबूत बनायेंगी।
- तीनों योजनाएं एक साथ मिल कर बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, कंपोनेंट्स की घरेलू आपूर्ति श्रृंखला तथा अत्याधुनिक अवसंरचना तथा बड़ी एंकर इकाइयों तथा उनकी आपूर्ति श्रृंखला साझीदारों के लिए सामान्य सुविधाओं में सक्षम बनाएंगी।
- ये योजनाएं 1 ट्रिलियन डालर डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा 2025 तक 5 ट्रिलियन डालर जीडीपी अर्जित करने में उल्लेखनीय रूप से योगदान देंगी।
- इन तीनों नई येाजनाओं से उल्लेखनीय निवेश आकर्षित होने, मोबाइल फोनों के उत्पादन में बढोत्तरी होने और उनके पार्ट्स/कंपोनेंट्स के 2025 तक लगभग 10,00,000 करोड़ रूपये के होने तथा लगभग 5 लाख प्रत्यक्ष और 15 लाख अप्रत्यक्ष रोजगारों के सृजित होने की उम्मीद है।