प्रवासी श्रमिकों के लिए नारंगी रंग का पासपोर्ट

  • हाल में केंद्र सरकार के तीन सदस्यीय कार्यदल, जिसमें विदेश मंत्रालय एवं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे, की सिफारिश पर पासपोर्ट तथा पासपोर्ट एक्ट 1967 तथा पासपोर्ट नियम 1980 के तहत जारी किये जाने वाले अन्य यात्रा दस्तावेजों पर अंतिम पृष्ठ नहीं मुद्रित होगा इसका मतलब यह होगा कि पासपोर्ट को अब स्थायी पता के प्रमाण के रूप में मान्य नहीं होगा।
  • इसी क्रम में यह भी निर्णय लिया गया कि ईसीआर यानी उत्प्रवासन जांच अनिवार्यता (Emigration Check Required-ECR) पासपोर्टधारियों को ‘नारंगी’ रंग (Orange colour) का पासपोर्ट जारी किया जाएगा जबकि गैर-ईसीआर पासपोर्टधारियों को पहले की तरह नीले रंग का पासपोर्ट जारी रहेगा।
  • हालांकि कुछ लोगों ने इस कदम को विभेदकारी बताया है। उनके मुताबिक ऐसे लोगों को पहले ही पहचान लिया जाएगा कि वे कम पढ़े-लिखे हैं और उनके साथ भेदभाव किया जा सकता है।
    ईसीआर एवं गैर-ईसीआर पासपोर्ट में अंतरः भारत में पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वाले वैसे लोगों को ईसीआर पासपोर्ट श्रेणी में शामिल किया जाता है जो 10वीं बोर्ड परीक्षा पास नहीं किये होते हैं। ऐसे लोगों को सउदी अरब, कतर, यूएई, इंडोनेशिया, कुवैत इत्यादि देश (18 देश) जाने के लिए उत्प्रवासी अधिकारियों की जांच से गुजरना होता है। ऐसे लोगों को उत्प्रवासन अनुमति प्रमाणपत्र लेना जरूरी होता है। शेष लोगों को गैर-ईसीआर पासपोर्ट जारी किया जाता है। ईसीआर पासपोर्ट जारी किये जाने के पीछे उद्देश्य नेक हैं। ये लोग अधिक पढ़े-लिखे नहीं होते हैं और वे विदेशों में शोषण के शिकार हो सकते हैं। इसलिए देश छोड़ने से पहले उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताया जाता है।

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