राज्य से अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए असम सरकार 31 दिसंबर, 2017 की रात को ‘नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर’ का प्रथम प्रारूप (first draft of Updated National Register of Citizens: NRC) जारी कर रही है। ऐसा केवल असम में किया जा रहा है।
-राज्य के वित्त मंत्री के अनुसार राज्य में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने के लिए यह संशोधित रजिस्टर जारी किया गया है।
-ऐसा कहा जा रहा है कि राज्य में 20 लाख ऐसे मुस्लिम हैं जो अपनी जड़ें बांग्लादेश में बताते हैं।
-इसके जारी होने के पश्चात असम में रह रहे लाखों अवैध प्रवासियों का स्मार्ट फोन इत्यादि भी अवैध हो जाएगा।
क्या है नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर?
-बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने के लिए नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर को अद्यतन किया जा रहा है।
-स्वतंत्र भारत की प्रथम जनगणना के पश्चात असम में पहली बार वर्ष 1951 में नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर तैयार किया गया था जिसमें भारत के मूल नागरिकों के नाम शामिल थे। इसके पश्चात पहली बार नागरिक प्रारूप को अद्यतन किया गया है। इसके तहत 25 मार्च, 1971 के पश्चात राज्य में प्रवेश कर गये बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की गई है।
-ज्ञातव्य है कि वर्ष 1985 में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन एवं केंद्र सरकार के बीच असम समझौता हुआ था जिसके तहत प्रावधान था कि वे सभी व्यक्ति जिनका 1951 के नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर में नाम हो या 25 मार्च, 1971 तक निर्वाचन सूची में नाम हो, वे असम के नागरिक माने जाएंगे अर्थात उनका नाम अद्यतन नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल होगा।
-केंद्र सरकार, असम सरकार एवं ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के मध्य 5 मई, 2005 को एनआरसी अद्यतन करने पर समझौता हुआ था। इसके पश्चात ही वर्ष 2010 में यह कार्य आरंभ हुआ।