-इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सहित देश के भर चिकित्सक ‘राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017’ (The National Medical Commission Bill, 2017 ) का विरोध कर रहे हैं। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में भ्रष्टाचार को देखते हुये उसके स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की स्थापना के लिए यह विधेयक लाया गया है। इस विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट ने 15 दिसंबर, 2017 को मंजूरी दी थी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने 29 दिसंबर 2017 को लोकसभा में इसे पेश किया। फिलहाल यह विधेयक संसद की स्थायी समिति के पास विचार के लिए भेज दिया गया है।
विरोध का कारणः इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि इस विधेयक में होम्योपैथी, यूनानी चिकित्सा पद्धति, आयुर्वेद की प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों को अल्पकालिक कोर्स करने के पश्चात एलोपैथिक चिकित्सा की प्रैक्टिस करने की अनुमति दी जाएगी जो कि गलत है। कुछ चिकित्सकों का कहना है कि प्रस्तावित 25 सदस्यीय आयोग में चिकित्सकों की ओर से केवल 5 निर्वाचित सदस्य ही होंगे। पांच सदस्यों का मतलब यह भी है कि केवल पांच राज्यों का प्रतिनिधित्व जो उचित नहीं है क्योंकि स्वास्थ्य व स्वास्थ्य शिक्षा समवर्ती सूची में शामिल है।
विधेयक के प्रावधानः ‘राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017’ के मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं:
1- यह विधेयक पारित होने के पश्चात मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया एक्ट 1956 की जगह लेगा।
2. इस विधेयक के द्वारा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह दिल्ली में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission-NMC) का गठन का प्रावधान किया गया है। 25 सदस्यीय इस आयोग में एक अध्यक्ष, एक पदासीन सचिव के अलावा 12 पदासीन सदस्य व 11 पार्ट टाइम सदस्य होंगे।
3. इस विधेयक के पारित होने के तीन साल के भीतर राज्यों में राज्य चिकित्सा परिषद् स्थापित किया जाना अनिवार्य है।
4. इस विधेयक के द्वारा एक कॉमन प्रवेश परीक्षा एवं लाइसेंस परीक्षा की व्यवस्था की गई है, प्रैक्टिस करने के लिए इसमें पास होना जरूरी है।
5. एमबीबीएस के लिए छात्रें को एनईईटी में पास होना जरूरी है।
6. सरकार इस आयोग के द्वारा निजी मेडिकल कॉलेजों के 40 प्रतिशत सीटों के शुल्क पर दिशा-निर्देश तय करेगी।
7. इस विधेयक के द्वारा केंद्र सरकार चिकित्सा सलाहकार परिषद गठित करेगी।