- ओडिशा के राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल ने 10 अक्टूबर 2018 को ओडिशा के बारगढ़ जिले की भाटली तहसील के बोलासिंघा गांव में भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन द्वारा स्थापित किये जा रहे सेकेंड जेनरेशन (2 जी) इथेनॉल बायो-रिफाइनरी की नींव रखी।
- स्थापित किया जाने वाला यह बॉयो-रिफाइनरी संयंत्र देश का अपने किस्म का पहला संयंत्र है जो चावल की भूसी का फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करके प्रति वर्ष 3 करोड़ लीटर एथनॉल उत्पादन करेगा।
- इस संयंत्र द्वारा उत्पादित किये गये एथनॉल को पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जाएगा। इस परियोजना की लागत लगभग 100 करोड़ रुपये है।
- बढ़ती हुई ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और पर्यावरण की चिंताओं के कारण बॉयोफ्यूल का महत्व बढ़ा है। अनेक देशों ने अपनी घरेलू जरूरतों के अनुसार बॉयोफ्यूल के उत्पादन और उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न प्रक्रियाएं और प्रोत्साहन लागू किये हैं।
- भारत में प्रतिवर्ष लगभग 120-160 एमएमटी फालतू बॉयोमास की उपलब्धता है। जिसके परिवर्तित होने पर 3 हजार करोड़ लीटर एथनॉल के उत्पादन की क्षमता स्थापित हो जाएगी।
- भारत की राष्ट्रीय बॉयोफ्यूल नीति 2018 में वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि एथनॉल उपलब्ध न होने के कारण अभी पेट्रोल में केवल 3 से 4 प्रतिशत एथनॉल का मिश्रण किया जा रहा है।
- 2जी एथनॉल संयंत्रों की स्थापना से पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। बारगढ़ बायो-रिफाइनरी सालाना दो लाख टन चावल की भूसी का फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करेगी। जिसकी आपूर्ति भाटी अंबाभोना, सोहेला, बुर्ला, लाखनपुर आदि जैसे आसपास के स्थानों से की जाएगी।
- बायो-रिफाइनरिया एथनॉल उत्पादन के लिए चावल की भूसी का उपयोग करके पर्यावरण को साफ रखने में मदद करेगी और बेकार भूसी को खेतों में नहीं जलाना पड़ेगा। पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण से जीवाश्म ईंधन की तुलना में ग्रीन हाउस गैसों का कम उत्सर्जन होगा।
- इस संयंत्र से वातावरण को साफ रखने के अलावा चावल की भूसी बायो-रिफाइनरी को बेचने से किसानों की अतिरिक्त आमदनी बढ़ने के कारण उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को सुधारने में मदद मिलेगी।
- इसके अलावा इस संयंत्र के निर्माण परिचालन और बायोमास के आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन से लगभग 1200 लोगों को सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार जुटाने में मदद मिलेगी।
- इस क्षेत्र में बुनियादी ढ़ांचे के विकास और इस क्षेत्र के लोगों की आजीविका में सुधार को बढ़ावा मिलेगा तथा एथनॉल के मिश्रण से देश का तेल निर्यात घटने और विदेशी मुद्रा की बचत से देश की आत्मनिर्भता में बढ़ोत्तरी होगी।