चन्द्रमा के प्रकाशित सतह पर पानी होने के निर्णायक प्रमाण

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने घोषणा की है कि उन्हें कुछ दिनों पहले चन्द्रमा के प्रकाशित सतह पर पानी होने के निर्णायक प्रमाण (water on the sunlit surface of the Moon) प्राप्त हुए हैं।

Image source: NASA
  • इसकी खोज स्ट्रैटोस्फेरिक ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी यानि ‘सोफ़िया’ (Stratospheric Observatory for Infrared Astronomy: SOFIA) ने किया है। यह एक वेधशाला है जो वायुमंडल के काफ़ी ऊपर उड़ती है और बड़े पैमाने पर सौर मंडल का काफ़ी स्पष्ट दृश्य उपलब्ध कराती है।
  • हालांकि इससे पहले भी भारत के चंद्रयान मिशन से चंद्रमा की सतह पर पानी होने के संकेत मिले थे लेकिन इससे पहले जो खोज हुई थीं उनमें चांद के हमेशा छाया में रहने वाले भाग में पानी के होने के संकेत मिले थे लेकिन इस बार वैज्ञानिकों को चांद के उस हिस्से में पानी के होने के प्रमाण प्राप्त हुए हैं जहां सूर्य का सीधा प्रकाश पड़ता है।
  • सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित,पृथ्वी से दिखाई देने वाले सबसे बड़े क्रेटर में से एक क्लेवियस क्रेटर (Clavius Crater) में पानी के अणुओं (H2O) का पता लगाया है।
  • पूर्व के अध्ययनों में चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन के कुछ रूप का पता चला था, लेकिन यह पता नहीं चल पाया था की यह पानी (H2O) है या इसका करीबी रासायनिक रिश्तेदार हाइड्रॉक्सिल (hydroxyl: OH) है। परन्तु अब पानी के अणुओं (H2O) की पुष्टि हुयी है।
  • वहां जो पानी है वो चांद पर लगभग एक क्यूबिक मीटर मिट्टी में 12 औंस की एक बोतल के बराबर पानी है मतलब यह की चन्द्रमा के लगभग एक क्यूबिक मीटर आयतन या क्षेत्र में आधे लीटर से भी कम (0.325 लीटर) पानी है।
  • चंद्रमा पर अंतरिक्षयात्री किस जगह बेस बनाएंगे यह बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि पानी कहां उपलब्ध है।
  • यदि एक बार यह ज्ञात हो जाये की उपलब्ध पानी निकालना कैसे है तो चन्द्रमा की सतह पर काफी उपयोगी साबित हो सकता है। अगर ऐसा हो पाता है तो पृथ्वी से चंद्रमा पर किसी रॉकेट को भेजने की तुलना में, चंद्रमा पर रॉकेट ईंधन बनाना सस्ता हो जाएगा।

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