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- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में लंबित महापत्तन प्राधिकरण विधेयक 2016 (Major Port Authorities Bill 2016) में सरकारी संशोधनों को शामिल करने की स्वीकृति 7 फरवरी, 2018 को दे दी। यह संशोधन विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों पर आधारित हैं। संशोधन के द्वारा निम्न परिवर्तन शामिल किये गये हैंः
- पत्तन में सेवारत कर्मचारियों में से पत्तन प्राधिकरण बोर्ड में नियुक्त किये जाने वाले श्रम प्रतिनिधियों की संख्या एक से दो तक बढा दी गई है।
- कर्मचारियों के हित का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया जाने वाला सदस्य 3 वर्ष के एक कार्यकाल के लिए पद पर बना रहेगा और लगातार दो बार से अधिक अवधि के लिए नहीं रहेगा। बोर्ड में उसकी सदस्यता उसके सेवानिवृत्त होने के साथ ही समाप्त हो जाएगी।
- पत्तन प्राधिकरण बोर्ड में स्वतंत्र सदस्यों की संख्या न्यूनतम दो से अधिकतम चार होगी।
- महापत्तन न्यास अधिनियम 1963 के अंतर्गत प्रत्येक व्यत्ति, जो न्यासी बोर्ड से ऐसी किसी तारीख से पहले कोई सेवानिवृत्ति लाभ प्राप्त कर रहा था, वह बोर्ड से ऐसे लाभ प्राप्त करता रहेगा।
- प्रत्येक महापत्तन का बोर्ड किसी विकास अथवा पत्तन सीमाओं के अंतर्गत और उनसे संबंधित भूमि पर बनी अवसंरचना और स्थापित की जाने वाली अवसंरचना के संबंध में विशिष्ट मास्टर प्लान तैयार करने के लिए हकदार है और मास्टर प्लान पर किसी स्थानीय अथवा राज्य सरकार के किसी प्राधिकरण, जो भी हों, के विनियम लागू नहीं होंगे।
- इस अधिनियम के प्रावधान के अंतर्गत बोर्ड द्वारा अथवा बोर्ड की ओर से प्राप्त सभी धन पत्तनों के ऐसे सामान्य खते और खातों में जमा किया जाएगा जो बोर्ड द्वारा वित्त मंत्रलय के दिशा निर्देशों के अनुसार समय-समय पर किसी राष्ट्रीयकृत बैंक के साथ खाले जाने हैं।
- एडजुकेटरी बोर्ड के पीठासीन अधिकारी और सदस्यों की तैनाती चयन समिति की सिफारिशों पर केन्द्र सरकार द्वारा की जाती है।
- केंद्र सरकार एडजुकेटरी बोर्ड को पीठासीन अधिकारी अथवा किसी सदस्य को निर्धारित तरीके से हटाने का अधिकार प्राप्त हैं।