- ओडिशा सरकार ने कंधमाल हल्दी के लिए ‘भौगोलिक संकेतक’ यानी जीआई टैग (Geographical Indication-GI Tag) हेतु आवेदन किया है।
- स्वर्णिम पीले रंग के इस हल्दी को ओडिशाा के कंधमाल जिले के नाम पर रखा गया है जहां इसे अनिश्चित काल से उगाया जा रहा है। इस हल्दी में चिकित्सकीय गुण भी पाये जाते हैं।
- लघु एवं सूक्ष्म उद्यम मंत्रालय के तहत सेंट्रल टूल रूम एंड ट्रेनिंग सेंटर ने 11 जनवरी, 2018 को इसके जीआई टैग के लिए आवेदन दिया।
- इसकी खेती में 60,000 परिवार लगे हैं जो कंधमाल जिला का 50% है।
क्या होता है जीआई टैग? - विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार संबंधित पहलू (TRIPS) की धारा-22 एवं धारा-23 में जीआई टैग देने का प्रावधान किया गया है।
- विश्व व्यापार संगठन के उपर्युक्त कानून की बाध्यता (सुई जेनेरिस) के आलोक में दिसंबर 1999 में भारतीय संसद ने ‘वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण एवं सुरक्षा एक्ट) पारित किया।
- इस एक्ट का प्रशासन पैटेंट, डिजाइन एवं ट्रेडमार्क के महानियंत्रक द्वारा किया जाता है जो भौगोलिक संकेतक का पंजीयक भी है।
- किसी क्षेत्र विशेष के विशिष्ट उत्पाद को संकेतित करने के लिए भौगोलिक संकेतक या जीआई टैग प्रदान किया जाता है।
- यह कृषिक, प्राकृतिक या विनिर्मित वस्तुओं के लिए प्रयुक्त होता है।
- उसी उत्पाद को जीआई टैग प्रदान किया जाता है जिसे उसी क्षेत्र विशेष में उत्पादित या प्रसंस्कृत या तैयार किया जाता है।
- जीआई टैग हासिल करने के लिए उस उत्पाद में विशेष गुणवत्ता होनी चाहिये या उसका विशेष दर्जा होना चाहिये।
- जहां बौद्धिक संपदा अधिकार व्यक्तिगत हित की सुरक्षा को गारंटी देता है वहीं जीआई टैग सामूहिक अधिकार को गारंटी प्रदान करता है।
- जीआई टैग 10 वर्षों के लिए प्रदान किया जाता है जिसे इसी अवधि के लिए और आगे बढ़ाया जा सकता है।
जीआई टैग के लाभः भारत में भौगोलिक संकेतक के माध्यम से किसी क्षेत्र विशेष के विशिष्ट उत्पाद को यह कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। इससे इस उत्पाद का दुरुपयोग रूकता है और इसके निर्यात को भी बढ़ावा मिलता है।