भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक जहाज़ आईएनएस राजपूत (INS Rajput) को 21 मई 2021 को 41 वर्षों तक राष्ट्र की सेवा करने के बाद विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में कार्यमुक्त (decommissioned) कर दिया गया।
- जहाज द्वारा राष्ट्र को प्रदान की गई अभूतपूर्व सेवा की स्मृति में इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा एक विशेष डाक कवर जारी किया गया।
- आईएनएस राजपूत को दिनांक 04 मई 1980 को पोटी, जॉर्जिया (तत्कालीन यूएसएसआर) में कैप्टन (बाद में वाइस एडमिरल) गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी के साथ भारतीय नौसेना के राजपूत क्लास विध्वंसक के प्रमुख जहाज के रूप में कमीशन किया गया था।
- अपनी सेवा के दौरान जहाज को पश्चिमी और पूर्वी दोनों बेड़ों का हिस्सा बनने का गौरव प्राप्त हुआ। यह पोत जून 1988 तक मुंबई में स्थित था एवं तत्पश्चात पूर्वी बेड़े के भाग के तौर पर नये सिरे से विशाखापत्तनम भेजा गया।
- एक शूरवीर सी भाव भंगिमा से लैस यह जहाज़ हथियारों और सेंसरों की श्रृंखला से सुसज्जित था जिसमें सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, विमान रोधी बंदूकें, टारपीडो और पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर शामिल थे।
- आईएनएस राजपूत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल व लंबी दूरी की ब्रह्मोस मिसाइल को दागने की क्षमता वाला पहला पोत भी था। वह भारतीय सेना की रेजिमेंट ‘राजपूत रेजिमेंट’ से संबद्ध होने वाला भारतीय नौसेना का पहला जहाज भी था।
- ऑपेरशन पवन, ऑपरेशन अमन, ऑपरेशन कैक्टस और विभिन्न बहुराष्ट्रीय अभ्यासों जैसे विभिन्न नौसैनिक अभियानों में भाग लेने के अलावा, यह पोत विभिन्न राहत अभियानों में हिस्सा लेने वाला भारतीय नौसेना का ध्वजवाहक था जिसमें 1999 में ओडिशा तट पर चक्रवात राहत अभियान, 2004 में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में सुनामी के बाद राहत अभियान और जकार्ता में भूकंप के बाद मानवीय सहायता तथा आपदा राहत (एचएडीआर) मिशन शामिल हैं।
- राष्ट्र के लिए अपनी शानदार सेवा में जहाज की कमान 31 कमांडिंग अधिकारियों ने संभाली। इसके कमीशन होने के बाद से जहाज ने 7,87,194 नॉटिकल मील से अधिक की दूरी तय की है जो विश्व भर को 36.5 बार जल भ्रमण करने के बराबर है तथा पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3.8 गुना है।