- भारत 19 जनवरी, 2018 को निर्यात प्रतिबंध व्यवस्था ‘आस्ट्रेलिया समूह’ (Australia Group-AG) का 43वां सदस्य बना।
- इसके साथ ही भारत निर्यात नियंत्रण व्यवस्था से जुड़े चार संगठनों में से तीन का सदस्य बन गया है। भारत जिनका सदस्य बन चुका है उनमें शामिल हैं: वासेनार व्यवस्था, एमटीसीआर व आस्ट्रेलिया समूह। चीन के विरोध के कारण भारत चौथे समूह ‘परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह यानी एनएसजी’ का सदस्य नहीं बन सका है।
- आस्ट्रेलिया समूह का सदस्य बनने से परमाणु अप्रसार के बारे में वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। इसके अलावा भारत को उत्कृष्ट प्रौद्योगिकियां भी प्राप्त हो सकेगी।
क्या है आस्ट्रेलिया समूह?
- यह भारत सहित विश्व के 43 देशों का सहयोगी व स्वैच्छिक समूह है जो रासायनिक एवं जैविक हथियारों के विकास में योगदान देने वाली वस्तुओं, उपकरणों एवं प्रौद्योगिकियों के प्रसार पर रोक लगाता है।
- आस्ट्रेलिया समूह की स्थापना 1985 में हुयी थी। चूंकि इस समूह की स्थापना की पहल आस्ट्रेलिया ने किया था, इसलिए इसे आस्ट्रेलिया समूह कहा जाता है।
- भारत 19 जनवरी, 2018 को इस समूह का 43वां सदस्य बना।
क्या है वासेनार व्यवस्था?
- यह विश्व के 42 देशों (भारत सहित) का विशिष्ट क्लब है जो परंपरागत हथियारों तथा दोहरे प्रयोग वाली वस्तुओं एवं प्रौद्योगिकियों के निर्यात को नियंत्रित करता है।
- यह व्यवस्था 1996 में अस्तित्व में आयी। इसका नाम नीदरलैंड के हेग स्थित वासेनार जगह के नाम पर हुयी है जहां 1995 में इस बहुपक्षीय सहयोग पर सहमति हुयी थी।
- वासेनार व्यवस्था का मुख्यालय जेनेवा में है।
- परमाणु अप्रसार संधि का हस्ताक्षरी नहीं होने के बावजूद 8 दिसंबर, 2017 को भारत इसका 42वां सदस्य बना।
क्या है एमटीसीआर?
- मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) विश्व के 35 देशों का स्वैच्छिक निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है। इसकी स्थापना 1987 में जी-7 देशों द्वारा हुयी थी।
- एमटीसीआर व्यवस्था 500 किलोग्राम के पेलोड को 300 किलोमीटर तक ले जाने वाले मिसाइल, पूर्ण रॉकेट व्यवस्था, मानवरहित हवाई यान के प्रसार को सीमित करता है। इसके अलावा यह व्यवस्था जनसंहार के हथियारों (WMD) के प्रसार को भी रोकता है।
- भारत 27 जून, 2016 को इसका 35वां सदस्य बना। बैलेस्टिक मिसाइल अप्रसार से जुड़े हेग आचार संहिता पर हस्ताक्षर के पश्चात भारत को इसमें शाामिल किया गया।