भारत में माप इकाइयों की नई परिभाषा लागू

  • दशकों तक प्रयोशालाओं में किए गए गहन वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद आाखिर दुनिया के वैज्ञानिकों ने 16 नवंबर 2018 को बीआईपीएम में माप-तौल पर आयोजित सम्‍मेलन में माप तौल की सात अंतरराष्‍ट्रीय इकाइयों में से चार –किलोग्राम(भार मापक इकाई) केल्विन (ताप मापक इकाई), मोल (पदार्थ मापक इकाई) और एंपियर (विद्युत मापक इकाई) को विश्‍व स्‍तर पर फिर से परिभाषित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था।
  • यह परिभाषा पूरी दुनिया में विश्व माप विज्ञान दिवस (20 मई ) के दिन से लागू हो रही है।

विश्‍व माप विज्ञान दिवस

  • विश्‍व माप विज्ञान दिवस (World Metrology Day ) हर साल 20 मई को मनाया जाता है। वर्ष 1875 को आज ही के दिन दुनिया के 17 देशों के प्रतिनिधियों ने माप तौल की एक सर्वमान्‍य अंतरराष्‍ट्रीय इकाई प्रणाली तय करने के लिए मीटर कन्‍वेन्‍शन पर हस्‍ताक्षर किए थे। इस सम्‍मेलन ने वैश्विक सहयोग के माध्‍यम से नाप तौल विज्ञान और उसकी औद्योगिक ,वाणिज्यिक और सामाजिक उपयोगिता की रूपरेखा तय करने का मार्ग प्रशस्‍त किया था।

नई परिभाषा

  • किलोग्राम (भार की ईकाई) तथा तीन अन्य मूल इकाइयां एंपीयर (विद्युत धारा), केल्विन (तापमान) और मोल अब भौतिक कलाकृतियों पर निर्भर नहीं होगी वरन् प्रकृति के स्थिरांक (क्वांटम स्टैंडर्ड) पर निर्भर होगी। यह प्लैंक कॉन्स्टैंट पर निर्भर होगी। उल्लेखनीय है कि इकाई की अंतरराष्ट्रीय प्रणाली की सात मूल इकाइयों में से उपर्युक्त चार इकाइयां कॉन्स्टैंट ऑफ फिजिक्स पर निर्भर नहीं रही है। सात मूलभूत इकाइयां हैंः सेकेंड, मीटर, किलोग्राम, एम्पीयर, केल्विन, मोल एवं कैंडेला।
  • हालांकि आज के दिन से लागू नई परिभाषा का आम लोग तो कुछ खास अनुभव नहीं कर पायेंगे या यूं कहें कि आम जन-जीवन में इसके बदलाव में कुछ खास असर नहीं देखा जाएगा पर इसके बदलाव के सूक्ष्मतम स्तर पर परिणाम व्यापक होंगे।
  • एसआई की परिभाषा में परिवर्तन के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, उच्च तकनीक निर्माण, मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा, पर्यावरण की सुरक्षा, वैश्विक जलवायु अध्ययन और बुनियादी विज्ञान के क्षेत्रों में सुलभता आएगी। इससे उच्च स्तर पर प्रकृति के वर्तमान सैद्धांतिक वर्णन के आधार पर इकाइयों को दीर्घकालिक, आंतरिक रूप से आत्मनिर्भर और व्यावहारिक रूप से प्राप्य होने की उम्मीद है।

सीएसआईआर और एनपीएल

  • वैज्ञानिक एंव औद्योगिक अनुसंधान परिषद् -सीएसआईआर के महानिदेशक श्री शेखर सी. मांडे ने नई इकाइयों की परिभाषा तय करने के प्रयासों में शामिल होने के लिए राष्‍ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला को बधाई दी है और कहा कि क्‍वांटम कंप्‍यूटिंग, आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस, इंडस्‍ट्री 4.0 और अंतरिक्ष में संचार सेवा जैसी भविष्‍य की कुछ वैश्विक चुनौतियां हैं। ऐसे में भारत जैसी उभरती अर्थव्‍यवस्‍था के लिए इन चुनौतियों से निबटने की तैयारी करना बेहद जरूरी हो गया है।
  • अंतरराष्‍ट्रीय माप विज्ञान समुदाय और विशेष रूप से देश का राष्ट्रीय मापन संस्थान (एनएमआई) इस वर्ष विश्‍व माप विज्ञान दिवस को एक नई शुरुआत के रूप में मना रहा है।
  • सीएसआईआर और एनपीएल अंतरराष्‍ट्रीय माप तौल इकाइयों को नए सिरे से परिभाषित किए जाने को व्‍याख्‍यानों और कई अन्‍य कार्यक्रम के जरिए से लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा है।
  • नए सिरे से परिभाषित की गई इन इकाइयों के महत्‍व को स्‍वीकार करने और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इसे पहचाने दिलाने की जिम्‍मेदारी के तहत सीएसआईआर और एनपीएल ने नए सिरे से कई दस्‍तावेज तैयार किए हैं जिनमें माप विज्ञान की पहचान, राष्‍ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्-एनसीईआरटी, माप विज्ञान में इंजीनियरिंग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान, आल इंडिया काउंसिल फॉर टेकनिकल एजुकेशन तथा राष्‍ट्रीय तकनीकी संस्‍थाअनों के पाठ्यक्रम में नयी परिभाषा को समाहित करने के लिए प्रस्‍तावित बदलाव के सुझाव से जुड़े दस्‍तावेज शामिल हैं।
  • अंतरराष्‍ट्रीय माप विज्ञान के दिवस के उपलक्ष्‍य में सीएसआईआर और एनपीएल ने मिलकर ‘अंतरराष्‍ट्रीय माप इकाइयों की नयी परिभाषा और मापविज्ञान से जुड़ी एनपीएल की गतिविधियां’ शीर्षक से एक पुस्‍तक भी प्रकाशित की है। इस पुस्‍तक में माप इकाइयों की परिभाषा में किए गए बदलावों और भारत की माप विज्ञान अवसंरचना को मजबूत बनाने में एनपीएल की भूमिका की भी विस्‍तृत जानकारी दी गई है।

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