भारत के गैर बासमती चावल के निर्यात को भारी प्रोत्साहन देते हुए, एक स्टार्ट-अप उदय एग्रो फार्म ने तमिलनाडु के तंजावर जिला के कुंभकोणम से पेटेंट सुरक्षित ‘विलेज राइस’ (Village Rice) की 4.5 एमटी की दो खेप भेजी गई। इस चावल को हवाई और समुद्री मार्ग से घाना व यमन को निर्यात किया गया।
विलेज राइस
- प्रोटीन, फाइबर और कई खनिजों से संपन्न ‘विलेज राइस’ को सीधे तंजावर के किसानों से खरीदा गया, जिसे तमिलनाडु के चावल के कटोरे के रूप में भी जाना जाता है।
- एपिडा से सहायता प्राप्त उदय एग्रो फार्म की आने वाले महीनों में बड़े स्तर पर ‘विलेज राइस’ के निर्यात की योजना है।
गैर बासमती चावल निर्यात
- 2020-21 के दौरान, गैर बासमती चावल के निर्यात में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। अप्रैल-मार्च, 2021 के दौरान 35,448 करोड़ रुपये (4796 मिलियन डॉलर) के गैर बासमती चावल का निर्यात हुआ, जबकि अप्रैल-मार्च, 2020 में 14,400 करोड़ रुपये (2020 मिलियन डॉलर) का निर्यात हुआ था।
- इस प्रकार, 2020-21 में गैर बासमती चावल के निर्यात में रुपये में 146 प्रतिशत और डॉलर में 137 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
लाल चावल अमेरिका को निर्यात
- मार्च, 2021 में असम से ‘लाल चावल’ की पहली खेप अमेरिका को निर्यात की गई थी। आयरन के लिहाज से संपन्न ‘लाल चावल’ असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में पैदा होता है, जिसमें किसी रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल नहीं किया किया जाता है। चावल की इस किस्म को ‘बाओ-धान’ कहा जाता है, जो असमिया खाने का एक अभिन्न अंग है।