ट्युटिंग-टिडिंग सुतर ज़ोन (टीटीएसजेड)

Image: Arunachal Pradesh (Wikimedia Commons)

ट्युटिंग-टिडिंग सुतर ज़ोन (Tuting-Tidding Suture Zone: TTSZ) पूर्वी हिमालय का एक प्रमुख हिस्सा है, जहाँ हिमालय दक्षिण की ओर मुड़ता है और इंडो-बर्मा रेंज से जुड़ जाता है।

निर्माण की बढ़ती आवश्यकता: अरुणाचल हिमालय का यह हिस्सा हाल के दिनों में सड़कों और पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण की बढ़ती आवश्यकता के कारण महत्वपूर्ण हो गया है। इस कारण इस क्षेत्र में भूकंप के पैटर्न को समझने की आवश्यकता है।

 भूकंपीयता के लोचदार गुणों का अध्ययन: विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के स्वायत्त संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्‍यूआईएचजी) ने भारत के इस सबसे पूर्वी हिस्से में चट्टानों और भूकंपीयता के लोचदार गुणों का अध्ययन किया है। इससे पता चला है कि यह क्षेत्र दो अलग-अलग गहराई पर मध्यम स्तर का भूकंप पैदा कर रहा है। निम्न स्तर के भूकंप 1-15 किमी की गहराई पर केंद्रित होते हैं और 4.0 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप ज्यादातर 25-35 किमी गहराई से उत्पन्न होते हैं। मध्यवर्ती गहराई भूकंप सम्भावना से रहित है और द्रव/आंशिक पिघले हुए पदार्थ के समान है।

 मोहो डिस्कॉन्टिनूइटी: इस क्षेत्र में भूमि की ऊपरी परत की मोटाई ब्रह्मपुत्र घाटी के नीचे 46.7 किमी से लेकर अरुणाचल के ऊंचाई वाले क्षेत्र के नीचे लगभग 55 किमी है, यह संपर्क के स्थान पर थोडा ऊंचा है, जो ऊपरी परत और मेंटल के बीच की सीमा को परिभाषित करता है, जिसे तकनीकी रूप से मोहो डिस्कॉन्टिनूइटी कहा जाता है।

  इंडियन प्लेट के अंडरथ्रस्टइंग तंत्र का पता: इससे ट्यूलिंग-टिडिंग सुतर ज़ोन में इंडियन प्लेट के अंडरथ्रस्टइंग तंत्र का पता चलता है। अत्यधिक उच्च पॉइसन का अनुपात लोहित घाटी के उच्च भागों में भी पाया गया, जो भूमि के ऊपरी परत की गहराई पर द्रव या आंशिक पिघले हुए पदार्थ की उपस्थिति को दर्शाता है। इस क्षेत्र में भूकंप-आवृति का यह विस्तृत मूल्यांकन भविष्य में इस क्षेत्र में किसी भी बड़े पैमाने पर निर्माण की योजना बनाने के लिए सहायक होगा।

हिमालय का उद्भव: हिमालय का उद्भव और विकास एक सतत प्रक्रिया है, जो मुख्य रूप से रिवर्स फाल्ट के परिणामस्वरूप होती है। इसमें फाल्ट प्लेन की निचली सतह की चट्टानें, ऊपरी सतह पर अपेक्षाकृत स्थिर चट्टानों के नीचे जाती हैं।

यूरेशियन प्लेट के नीचे इंडियन प्लेट के जाने की इस प्रक्रिया को अंडरथ्रस्टइंग (एक प्लेट के नीचे दूसरे प्लेट का घुसना) कहा जाता है।

यह प्रक्रिया प्रवाह (ड्रेनेज) पैटर्न और भू-संरचना में निरंतर परिवर्तन करती रहती है, जो हिमालय तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में भारी भूकंपीय खतरा पैदा करने का मुख्य कारण है। निर्माण कार्यों के शुरू होने से पहले, गहराई, तीव्रता और कारण के संदर्भ में भूकंप के आकलन और विवरण की आवश्यकता पड़ती है।

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