मालदीव और श्रीलंका, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के ऐसे पहले दो देश बन गए हैं, जिन्होंने 2023 तक रूबेला (rubella) और खसरा (measles) के उन्मूलन का लक्ष्य समय से पहले हासिल कर लिया है।
यह घोषणा 8 जुलाई 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने रूबेला और खसरा के उन्मूलन के लिए क्षेत्रीय पुष्टिकरण आयोग की पांचवीं बैठक के बाद की।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किसी देश में रूबेला-खसरा उन्मूलन की घोषणा तब की जाती है जब बेहतर निगरानी प्रणाली के द्वारा इस बात की पुष्टि हो जाये कि विगत तीन वर्षों में स्थानीय संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया हो।
मालदीव में रूबेला का अंतिम मामला वर्ष 2009 में और खसरे का अक्टूबर 2015 में सामने आया था। श्रीलंका में रूबेला का अंतिम मामला मई वर्ष 2016 में और खसरे का मार्च 2017 में सामने आया था।
भूटान, कोरिया और तिमोर-लेस्ते इस क्षेत्र के अन्य देश हैं जिन्होंने खसरा का उन्मूलन कर दिया है।
रूबेला और खसरा
खसरा एक अत्यंत संक्रामक श्वसन रोग है जो वायरस के कारण होता है। रूबेला को कभी-कभी “जर्मन खसरा” कहा जाता है।
रूबेला और खसरा वायरस असंबंधित हैं और अलग-अलग वायरस परिवारों से हैं। हालाँकि, उनमें कुछ समानताएँ हैं।
दोनों वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसी और छींकने से फैलते हैं, रूबेला और खसरा संक्रमण के बाद बुखार और त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं और केवल मानव में जीवित रह सकते हैं।
खसरा और रूबेला को टीकाकरण द्वारा रोका जा सकता है जो संयुक्त खसरा-रूबेला (एमआर) वैक्सीन के रूप में एक साथ दिया जा सकता है।
रूबेला एक विषाणुजनित संक्रमण है, जो बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है।
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