- केरल में एक बार फिर से निपा वायरस (Nipah virus) के मामले की पुष्टि हुयी है। राज्य के एर्नाकुलम जिला में 23 वर्षीय छात्र में इस वायरस की पुष्टि हुयी है। विगत एक वर्ष में दूसरी बार है जब केरल में निपा वायरस ने दस्तक दिया है।
- मई 2018 में इसके संक्रमण का पहला मामला कोझिकोड के चंगरोथ में सामने आया था। वर्ष 2018 में राज्य के कोझिकोड एवं मल्लापुरम में इस वायरस के संक्रमण आने से 13 लोगों की मौत हो गई थी।
- भारत चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (आईसीएमआर) ने इस बात की पुष्टि की थी कि केरल में 2018 में फैले निपा वायरस (Nipah Virus) के लिए फ्रुट बैट यानी चमगादड़ जिम्मेदार था।
क्या है निपा वायरस?
- निपा एक जूनॉटिक वायरस (जानवर से मानव में संक्रमण) है परंतु यह संक्रमित खाद्य को साझा करने या संपर्क में रहने वाले लोगों में भी फैल सकता है।
- इस रोग में मृत्यु दर 40 से 75 प्रतिशत है।
- टेरोपोडिडेई परिवार (Pteropodidae family ) की फ्रुट बैट या चमगादड़ इसका प्राकृतिक मेजबान है।
- सुअरों में इस वायरस का प्रकोप काफी संक्रामक होता है।
- यह आरएनए वायरस है।
- 1998 में मलेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह में फैली महामारी के दौरान इस वायरस की पहली बार पहचान हुई थी। इस समय इस वायरस का तात्कालिक होस्ट सुअर था।
- वर्ष 2004 में डेट पाम सैप के पीने से बांग्लादेश में निपाह वायरस से कई लोग संक्रमित हो गए। यह पाम सैप फ्रुट बैट या चमगादड़ से संक्रमित था।
- इस वायरस से मानव के साथ-साथ सुअर एवं मवेशी भी संक्रमित हो सकते हैं।
- यह वायरस मानव में चमगादड़ एवं सुअरों से तथा मानव से मानव में भी संक्रमित हो सकता है।
- इस वायरस के लिए अभी कोई टीका विकसित नहीं हो पाया है।
- इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के ब्लूप्रिंट प्रायोरिटी डिजीज (Blueprint priority diseases) में शामिल किया गया है