बब्बल ब्यॉय डिजीज के इलाज में एचआईवी का इस्तेमाल

  • न्यू इंगलैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार गंभीर प्रतिरक्षा विकार, जिसे बब्बल ब्यॉय डिजीज’ (bubble boy disease) भी कहा जाता है, से ग्रसित आठ शिशुओं का जीन थिरेपी से उपचार किया गया।
  • इस विकार, जिसे आधिकारिक तौर पर ‘एससीआईडी-एक्स1’ (severe combined immuno deficiency: SCID-X1) भी कहा जाता है, से जन्में बच्चा में या तो प्रतिरक्षा प्रणाली बिल्कुल नहीं होती या बहुत कम होती है। इस वजह से घातक संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है।
  • आश्यर्चजनक यह है कि जिस जीन थिरेपी से इन शिशुओं का उपचार किया गया, उसे एचआईवी से बनाया गया था जो कि प्रतिरक्षी प्रणाली का दुश्मन माना जाता है।
  • एससीआईडी-एक्स1 वस्तुतः आईएल2आरजी नामक जीन में म्युटेशन की वजह से होता है जो कि सामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य करने के लिए आवश्यक है।
  • इस रोग का नामकरण डैविट वेटर के मामले के आधार पर हुआ था जिसका जन्म 1971 में उपर्युक्त विकार के साथ हुआ था। अपने मृत्यु तक वह प्लास्टिक के बब्बल में रहा। 12 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हो गई।

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