प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 5 नवंबर 2019 को कोलकाता में आयोजित 5वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव ( India International Science Festival) का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि महोत्सव का विषय (आरआईएसईएन) “अनुसंधान, नवाचार तथा विज्ञान के माध्यम से राष्ट्र का सशक्तिकरण” ( RISEN: Research, Innovation and Science Empowering the Nation) 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है।
उऩ्होंने कहा विज्ञान और प्रौद्योगिकी का समाज पर प्रभाव होता है। इसलिए सरकार अविष्कारों और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत स्तर पर मदद करती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा देश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में 5 हजार से ज्यादा अटल टिंकरिंग लैब और 200 से ज्यादा अटल इंक्यूबेशन केंद्र खोले गए हैं।
श्री मोदी ने कहा, “ हमें यह विचार करना होगा कि विज्ञान किस तरह से आम लोगों के जीवन को आसान बनाने में मददगार हो सकता है, इसलिए समाज में विज्ञान की काफी प्रासंगिकता है। जब प्रत्येक वैज्ञानिक और नागरिक ऐसी सोच के साथ काम करेंगे तो देश निश्चित रूप से प्रगति करेगा।”
प्रधानमंत्री ने लोगों से विज्ञान के दीर्घकालीन लाभों और समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस क्रम में सभी लोगों को अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और मानकों का ध्यान रखना होगा।
श्री मोदी ने कहा, “ हम सभी अच्छी तरह जानते हैं कि प्रौद्योगिकी दो चीजों का नतीजा होती है पहला समस्याओं का होना और दूसरा इसके निराकरण के लिए किए जाने वाले प्रयास।” उन्होंने कहा कि विज्ञान कभी विफल नहीं होता। इसमें केवल प्रयास, प्रयोग और सफलता होती है। अगर आप अपना काम इस सोच के साथ करते हैं तो आपको अपनी वैज्ञानिक खोजों या अपने जीवन में कभी भी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।