- अमेरिका एवं जापान के दो शोधकर्त्ताओं को वर्ष 2018 का चिकित्सा का नोबेल पुररस्कार देने की घोषणा की गई। जेम्स एलिसन (यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, अमेरिका) तथा तासुकु होंजो (क्योटो यूनिविर्सिटी) को कैंसर इलाज के क्षेत्र में शोधों के लिए पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
- इन वैज्ञानिकों ने नकारात्मक प्रतिरक्षी प्रणाली को अवरूद्ध कर कैंसर का उपचार खोजने में सफलता प्राप्त की।
- टी-कोशिका (T-Cell), जो कि श्वेत रक्त का एक प्रकार है इस प्रतिरक्षा में मुख्य भूमिका निभाती है। जेम्स पी. एलिसन ने टी-कोशिका में निहित सीटीएलए-4 (CTLA-4) जीन का अध्ययन किया जो कि इस प्रतिरक्षा प्रणाली को रोकती है। इसके खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर टी-कोशिका को सक्रिय किया।
- वहीं दूसरी ओर तासुकु होंजो ने टी-कोशिका के अवरोधक एक अन्य प्रोटीन पीडी-1 (PD-1) का अध्ययन किया व इसके खिलाफ एंटीबॉडी विकसित किया। इसे ‘इम्युन चेकप्वाइंट थिरेपी’ कहा गया।
- वैसे ऐसा पहली बार नहीं है जब कैंसर उपचार के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है। इससे पहले प्रोस्टैट कैंसर के इलाज में हॉर्मोन पद्धति (हगिंस 1996), कीमोथिरेपी (एलियन एवं हिचिंस, 1988) तथा ल्युकेमिया के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन (थॉमर्स 1990) के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है।
- वर्ष 1901 से अब तक 108 बार 214 लोगों को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है।