- खगोलविदों ने लाल ग्रह यानी मंगल पर पहली बार भूमिगत झील की खोज की है। इस झील की खोज के पश्चात मंगल पर और अधिक पानी और संभवतः जीवन के अस्तित्व की भी संभावना जगी है।
- तिकोना आकार का यह झील -68 डिग्री सेल्सियस बर्फ की चादर के नीचे छिपी होने के बावजूद द्रव रूप में है।
- यह झील 20 किलोमीटर चौड़ी है। मंगल ग्रह पर खोजा गया द्रव जल का सबसे बड़ा निकाय है।
- इस झील की खोज यूरोपीयन अंतरिक्ष एजेंसी की ‘मार्स एक्सप्रेस’ (Mars Express) पर लगे रडार उपकरण से संभव हो सकी है जिसे वर्ष 2003 में प्रक्षेपित किया गया था। इस उपकरण का नाम है ‘मार्स एडवांस्ड रडार फॉर सबसरफेस एंड लोनोस्फेयर साउंडिंग’ (Mars Advanced Radar for Subsurface and Lonosphere Sounding-MARSIS)।
- यह उपकरण रेडियो संकेतों को छोड़ता है फिर परावर्तित आवाज को सुनता है। कई बार यह रेडियो संकेत मंगल के धरातल के 3 किलोमीटर नीचे तक पहुंचकर संकेतों को परावर्तित करता है।
- माना जाता है कि मंगल ग्रह पर अरबों वर्ष पहले जल का अपवाह हुआ करता था जब इसका वायुमंडल उष्ण व पतला था। इसके चिह्न अ भी दिखाई देता है। परंतु आज निम्न वायुमंडलीय दबाव होने के कारण मंगल के धरातल पर द्रव जल नहीं है। हालांकि यह ध्रुवीय बर्फ के चादर के नीचे छिपा हो सकता है।
- वर्ष 2012 से 2015 के बीच 29 संकेतों सेे चमकीला प्रतिबिंब प्राप्त किया गया जो बर्फ की परत से 1-5 किलोमीटर नीचे से आ रहा था। यह द्रव रूप में जल होने का संकेत था।